वैचारिक असाम्य के कारण भारत में मूर्ति तोड़ने का यह सिलसिला त्रिपुरा से तमिलनाडु और फिर पश्चिम बंगाल होता हुआ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश पहुंच गया। लेनिन के बाद पेरियार, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, अंबेडकर और महात्मा गांधी की मूर्तियां भी तोड़ी गईं। जो राजनीतिक दल और विचारधाराएं मूर्तियां गढ़ने का काम करती हों, उन्हीं के कार्यकर्ता यदि प्रतिमाएं तोड़ने में लग जाएं तो आश्चर्य होना स्वाभाविक ही है। ऐसे में कैसे हम सकारात्मक चीजों की उम्मीद कर सकते हैं।