शब-ए-कद्र पोशीदा है, उसे तलाशें

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अल्लाह तआला रमजान के आखिरी अशरे में की गई इबादतों की मकबूलियत बढ़ा देता है। यह पूरा अशरा इबादत का है, क्योंकि इन्हीं रातों में शब-ए-कद्र भी शामिल है। अल्लाह ने शब-ए-कद्र को इस अशरे की रातों में पोशिदा (छिपा हुआ) रखा है, इसे तलाश कर इसकी कद्र करनी चाहिए। काजी-ए-शहर ने शुक्रवार को रमजान के तीसरे जुमे की नमाज से पहले बयान में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि शब-ए-कद्र की रात इबादत करने वाले के पिछले गुनाह माफ कर दिए जाने का वायदा अल्लाह तआला ने किया है, लेकिन यह रात कब होगी, इस बारे में खुलासा नहीं किया। इसकी पहचान यह जरूर बताई गई है कि यह रमजान के आखिरी अशरे की 21, 23, 25, 27 या 29 वीं रात में हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए हर मुसलमान को आखिरी अशरे के पूरे दिनों और खासकर विशेष रातों की इबादत का ख्याल रखना चाहिए।

अलविदा जुमे की तैयारियाँ : रमजान माह का अलविदा जुमा अगले शुक्रवार (18 सितंबर) को मनाया जाएगा। खास तरीके से मनाए जाने वाले इस दिन से पहले रमजान की शब-ए-कद्र की रात भी होने से इसका महत्व बढ़ गया है। इसके मद्देनजर बाजार कपड़े, जूते-चप्पल सहित अन्य खाद्य सामग्रियों की दुकानें से सज गए हैं।

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