रेहमतों, बरकतों, नमाजों, तिलावतों और इबादतों से सजा महीना रमजान पूरा होने को है। मस्जिदों में अदा की गई जुमा-तुल-विदा के बाद इस बात पर लोग गमगीन दिखाई दे रहे हैं कि रेहमतों का यह दौर अब थमने वाला है।
रमजान माह का अलविदा जुमा पूरी अकीदत और जोश के साथ मनाया गया। नमाज का खास सवाब होने की बात को ध्यान में रखते हुए बड़ी तादाद में मुस्लिम धर्मावलंबी निर्धारित समय से बहुत पहले मस्जिद पहुंचने लगे थे। धीरे-धीरे बढ़ती भीड़ का आलम यह हुआ कि नमाज के वक्त नमाजियों को मस्जिद के अंदर जगह नहीं मिल पाई।
रमजान माह की 27वीं रात यानि शब-ए-कद्र 27 अगस्त को मनाई जाएगी। इस मौके पर मस्जिदों में खत्म-ए-कुरआन के आयोजन होंगे, तो कई जगह दुरूद, फातेहा होगी तथा लंगर वितरित किया जाएगा। मुस्लिम धर्मावलंबी सारी रात मस्जिद और घरों में इबादत कर गुजारेंगे।'
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हुजूर ने फरमाया कि 'रमजान के महीने में एक ऐसी रात है, जो हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।' इस रात से मुराद लैलतुल कद्र है। जैसा कि खुद कुरआन मजीद में है कि 'हमने इस कुरआन को शब-ए-कद्र में नाजिल किया है और तुम क्या जानो कि शब-ए-कद्र क्या चीज है। शब-ए-कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।' कुरआन इंसान की भलाई और हिदायत का रास्ता दिखाने वाली किताब है।
सच्ची बात तो यह है कि इंसान के लिए इससे बढ़कर कोई दूसरी नेमत हो ही नहीं सकती। इसीलिए कहा गया है कि इंसानी तारीख में कभी हजार महीनों में भी इंसानियत की भलाई के लिए वह काम नहीं हुआ, जो इस एक रात में हुआ है। इस रात की अहमियत के अहसास के साथ जो इसमें इबादत करेगा, वह दरअसल यह साबित करता है कि उसके दिल में कुरआन मजीद की सही कदर और कीमत का अहसास मौजूद है।