यहूदी, ईसाई और इस्लाम तीनों ही धर्म के पैगंबर हजरत इब्राहीम ने कुर्बानी का जो उदाहरण दुनिया के सामने रखा था, उसे आज भी परंपरागत रूप से याद किया जाता है।
अल्लाह के हुक्म पर हजरत इब्राहीम अलेहिस्सलाम ने जब अपने बेटे इस्माईल अलेहिस्सलाम को कुर्बान करने की तैयारी की, जिसे अल्लाह ने कबूल कर लिया। अल्लाह को उनकी यह अदा इतनी पसंद आई कि पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लाहो-अलैह व सल्लम की उम्मत पर इसे वाजिब करार दे दिया।
* कुर्बानी के गोश्त के तीन बराबर हिस्से करना चाहिए, जिनमें से एक खुद के घर के लिए, दूसरा रिश्तेदारों व दोस्तों के लिए और तीसरा गरीबों के लिए होना चाहिए।