Devuthani Ekadashi 2024 : 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी है, जिसे देवोत्थान एकादशी, देव प्रभोदिनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस (dev uthani gyaras 2024 date ) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से विवाह, गृहप्रवेश, जातकर्म संस्कार आदि सभी कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। देव शयनी एकादशी के बाद यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए। यदि उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि बिलकुल न खाएं। इस व्रत को रखने के हैं 11 प्रमुख लाभ।ALSO READ: Dev uthani gyaras 2024 date: देवउठनी देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि
1. पाप हो जाते हैं नष्ट : एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कार नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. चंद्र दोष : कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने की स्थिति में जल और फल खाकर या निर्जल एकादशी का उपवास जरूर रखना चाहिए। व्यक्ति यदि सभी एकादशियों में उपवास रखता है तो उसका चंद्र सही होकर मानसिक स्थिति भी सुधर जाती है।
4. पितृदोष से मुक्ति : पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। पितरों के लिए यह उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।
5. भाग्य हो जाता जागृत : देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जागृत होता है।
6. धन और समृद्धि : पुराणों अनुसार जो व्यक्ति एकादशी करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
8. तुलसी पूजा : इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।
9. विष्णु पूजा : इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करना चाहिए। इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः "मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।