देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कैसे करें उपासना, किन मंत्रों का करें जाप

मंगलवार, 5 जुलाई 2022 (12:38 IST)
Devshayani Ekadashi 2022: 10 जुलाई 2022 रविवार को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन से भगवान श्रीहरि विष्णु 4 माह के लिए योगनिद्रा में चले जाएंगे और चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। इन चार माहों में श्रीहरि विष्णु की पूजा का महत्व भी रहेगा। आओ जानते हैं कि कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा और किन मंत्रों का करें जाप।
 
कैसे करें श्रीहरि विष्णु की पूजा How to worship Shri Hari Vishnu:
 
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का दिन है तो व्रत का संकल्प लें।
 
2. इसके बाद श्रीहरि भगवान की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
 
3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
4. फिर श्री विष्णु जी के मस्तक पर हलदी कुंकू, गोपी चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
 
5. फिर श्रीहरि विष्णु जी की पंचोपचार पूजा या षोडोषपार पूजा करें। पंचोपचार में गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करने के बाद आरती की जाती है। 
 
6. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
 
7. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
8. अंत में आरती करें। आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है और वही नैवेद्य प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
 
9. षोडोषपार पूजा में पूजा सामग्री बढ़ जाती है और फिर विधिवत रूप से पूजा की जाती है और विष्णु सहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ किया जाता है।
Vishnu jee Worship
10. विष्णु मंत्र जप- Shri vishnu mantra:
 
भगवान विष्णु को इस हरिशयन मंत्र से सुलाएं 
 
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।
 
अन्य मंत्र :
1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
 
2. ॐ नमो नारायणाय।
 
3. ॐ विष्णवे नम:।
 
4. ॐ हूं विष्णवे नम:।

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