शास्त्रों के अनुसार एकादशी करने का नियम यह है कि इसे साल में कभी भी शुरू नहीं किया जा सकता। इसे सिर्फ उत्पन्ना एकादशी से ही शुरू कर सकते हैं, क्योंकि इसी एकादशी से एकादशी व्रत का प्रारंभ माना जाता है।
यह एकादशी अश्वमेध यज्ञ, कठिन से कठिन तपस्या, तीर्थ स्नान व दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक शुभ फलदायी मानी गई है तथा इस दिन व्रत रखने वाले लोगों के कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं।