ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन लोग निर्जल व्रत रखकर विधि-विधान से दान करते हैं। एकादशी व्रत विशेष रूप से जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है। यह व्रत जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला माना गया है। वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, पर निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशी के शुभ फल की प्राप्ति होती है।
यह व्रत हमें जल संरक्षण का संदेश देता है। इस दिन जल को ग्रहण नहीं किया जाता है, प्रतीकात्मक रूप से यह संदेश है कि जल को बचाया जाए, ग्रहण तब ही करें जब संग्रहण और संरक्षण कर सकते हैं। हमारी संस्कृति में जल को वरूण देवता माना गया है।
इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। भोजन और खाद्य पदार्थों का दान भी कर सकते हैं। निर्जला एकादशी पर व्रत करने और दान करने से जीवन में समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में शांति की प्राप्ति होती है।