निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार यह तिथि 2 जून को पड़ रही है। इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल पीये रखा जाता है। व्रत के पूर्ण हो जाने के बाद ही जल ग्रहण करने का विधान है। व्रत करने वालों को जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जो व्यक्ति सच्चे मन के साथ इस व्रत को करता है उसे समस्त एकादशी व्रत में मिलने वाला पुण्य प्राप्त होता है। वह सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाता है। व्रत के साथ-साथ इस दिन दान कार्य भी किया जाता है। दान करने वाले व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। कलश दान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को सुखी जीवन और दीर्घायु प्राप्त होती है। आइए जानिए पूजन और पारण के लिए शुभ समय कौन सा है....