विजया एकादशी व्रत का फल: विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति भयंकर से भी भयंकर परेशानी से छुटकारा पा जाता है। इससे शत्रुओं का नाश होता है। अर्थात व्यक्ति को कभी भी शत्रु पीड़ा नहीं सताती है। यह अपने नाम के अनुरूप फल भी देती है। इस दिन व्रत धारण करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है व जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
- एक दिन पूर्व ही वेदी बनाकर सप्त धान रखें।
- एकादशी के दिन प्रात: स्नान करें और इसके बाद पूजा की तैयारी करें।
- सप्त धान पर मिट्टी का कलश स्थापित करें और पंचपल्लव कलश में रखें।
- कलश पूजा करें और फिर कलश में श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद श्री हरि की पंचोपचार पूजा करें। धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि पूजन करें।
- फिर एकादशी कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
- रात्रि में श्री हरि के नाम का भजन करें।
- अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें।