1. क्या है आकाश (Akash tatva) : किसी खगोलीय पिंड या धरती की सतह से उपर जो दिखाई देता है वह आकाश है। दिन के प्रकाश में यह नीला और सफेद नजर आता है और रात में काला लेकिन तारों से भरा। आकाश को नभ, आसमान, अम्बर, व्योम, निलाम्बर और गगन। हालांकि इन सभी नामों के अर्थ अलग अलग होती है। उसी तरह जहां तक वायु है वह आकाश अलग है और जहां वायु समाप्त होकर जो अनंत स्पेस प्रारंभ होता है उसे अंतरिक्ष कहते हैं। आकाश में रूप, रस, गन्ध और स्पर्श नामक गुण नहीं होते है। हमारी धरती के वायुमंडल से बाहर और खगोलीय पिंडों के बीच की खाली जगह अंतरिक्ष कही जाती है। अंतरिक्ष में असंख्य आकाशगंगाएं हैं।
2. मैं आकाश हूं : मैं आकाश हूं। मुझे ही तो समाई हुई है संपूर्ण धरती, ग्रह-नक्षत्र, जल, वायु और अग्नि। मैं आदि और अनंत हूं। मैं हूं भी और नहीं भी। मैं घट में, देह में और संपूर्ण ब्रह्माण में हूं। हिन्दू पुराणों के अनुसार आकाश एक ऐसा तत्व है जिसमें पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु विद्यमान है। आकाश अनंत है, जिसके कई स्तर होते हैं। हिन्दू पुराणों में आकाश देव को द्यौस पितर कहा गया है जो 8 वसुओं में से एक है। आकाशदेव ही आकाश से संदेश देकर भविष्यवाणी करते हैं जिसे आकाशवाणी कहते हैं।
आंकड़े (figures):
1. ओजोन परत : आकाश में स्थित ओजोन परत धरती के आकाश और बाहर के आकाश को दो भागों में विभाजित करती है। ओजोन परत पृथ्वी और पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है, लेकिन प्रदूषण और गैसों के कारण ओजोन परत का छिद्र बढ़ता जा रहा है। बढ़ते छिद्र के कारण धरती शीर्ष से पतली होती जा रही है और इसीके चलते co2 की कमी भी हो रही है।
4. अंतरिक्ष का कचरा : एक आंकड़े के मुताबिक, बीते पिछले 10 साल में अंतरिक्ष में 7,500 मीट्रिक टन कचरे की वृद्धि हुई है। यह अंतरिक्ष में सैटेलाइटों की सुरक्षा के लिए ही नहीं धरती के लिए भी बेहद खतरनाक है। ज अंतरिक्ष में लगभग 2000 लाइव सैटेलाइट हैं, 3000 से ज्यादा बेकार हैं।