जलपुरुष राजेंद्र सिंह और UNEP के कंट्री हेड अतुल बगाई ने पर्यावरण के प्रति जाहिर की चिंता
बुजुर्गों के कठोर अनुशासन ने पानी की कीमत सिखाई : जलपुरुष राजेंद्र सिंह
हमें प्रकृति के साथ शांति से रहना सीखना होगा :UNEPके कंट्री हेड अतुल बगाई
जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा संयोजित पर्यावरण संवाद सप्ताह (7 दिवसीय) चल रहा है...फेसबुक लाइव पर आयोजित पर्यावरण संवाद सप्ताह में जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि पहले आंख में पानी ,फिर दिल में पानी, तब हाथ में पानी आएगा
दूसरे दिन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जलपुरुष राजेंद्र सिंह अतिथि थे... उनका स्वागत इस कार्यक्रम की आयोजक सेंटर की निदेशक डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने उनके परिचय से किया...
डॉ. जनक ने बताया कि जलपुरुष राजेंद्र सिंह पिछले चार दशकों से तरुण भारत संघ के राष्ट्रीय प्रमुख हैं....राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पानी के बचाव और संरक्षण करने के लिए जाने जाते हैं...जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट से जुड़ी नीतियों में पानी के महत्व, संकट व इसका सामना करने वाले पानी वाले बाबा का सादा जीवन उच्च विचार है.... वे अद्भुत ऊर्जा से सम्पन्न हैं.... भारत की प्राचीन संस्कृति पर आधारित तकनीक से पानी को बचाने के सुंदर उपायों को आपने रेखांकित किया है...
उन्होंने सप्ताह भर चलने वाले संवाद का उद्देश्य बताया कि प्राकृतिक व्यवस्था को जानने, समझने और पर्यावरण की पुनर्स्थापना के लिए ज्यादा से लोगों की ज्यादा से ज्यादा अभिरुचि और जागरुकता बढ़ाना है ! विशेष रूप से कोरोना संक्रमण महामारी संकट की चुनौती से निपटने के लिए और सुरक्षित भविष्य के लिए जरुरी है कि मानव को अपना व्यवहार समझना होगा,यह समय अपने आपको मॉनिटर करने का है....जो गलतियां हमने की है उसे सुधारने का है...
प्रकृति और समस्त मानव जीवन के लिए यह महामारी सबसे बड़ी चुनौती है जिसका मुकाबला करने के लिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर,स्थानीय स्तर पर, सामूहिक तौर ईमानदार कोशिश करनी होगी...
प्राकृतिक व्यवस्था के संरक्षण के लिए भारत के जल संसाधनों को पुनर्जीवित करना होगा' विषय पर उन्होंने बचपन की कहानी सुनाई- उन्हें दादा जी बेहद प्यार करते थे लेकिन एक दिन आंगन में पानी की मटकी उनकी गेंद लगने से फूटी तो दादा जी ने बहुत गुस्से में कठोर शब्दों में कहा अब जितना पानी तुमने बर्बाद किया उतनी उम्र घट गई...
बुजुर्गों के इतने कठोर अनुशासन ने पानी की कीमत सिखाई... दादी जिस पानी से बड़ी परात में बैठ कर नहाती उस से अपने कपड़े धोती फिर उसी पानी को नीम के पेड़ को देती ! अब भारत में पानी के लिए संवेदना नहीं यहाँ के टेक्नोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक केवल भूजल निकालना सिखाते हैं, पानी बचाना नहीं जानते हैं ना ही सिखाते हैं... क्योंकि लोग सीख रहे हैं कि बस पैसा ही पानी है...
हमारे देश में पूरे विश्व में सबसे ज्यादा भूजल दोहन हो रहा है इस हालात कोदेखते हुए भारत के जल संसाधन प्रदूषण, खनन और पानी के लालच भरे दोहन से कुप्रभावित जल संकट आने वाले समय की सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है,इतनी कि पानी पूरी तरह खत्म हो सकता है। इसका दुष्प्रभाव समस्त प्राणियों ,जीव-जंतुओं, वनस्पतियों ,जंगलों हवा सब पर हो रहा है। हम सभी को वर्षा जल को सहेजना होगा, कुएं-तालाबों को बचाने के लिए सामुदायिक स्तर पर काम करना होगा... हमने भारत की हजारों वर्ष पुरानी परंपरा प्रबंधन से हजारों-तालाब बनवाए हैं।
तरुण भारत संगठन ने समुदायों को सचेत करके उन्हें जल सहेजने वाले कार्यों में प्रशिक्षित कर जल संरक्षण व जल के अनुशासित उपयोग व सूखी ,प्यासी धरती पानी को हरा करने वाले, कम पानी में पैदा होने वाली फसल और जैविक खेती को बढ़ावा देकर सात नदियों को पुनर्जीवित किया है।
राजस्थान के हजारों गांव, जो बेपानी होकर उजड़ गये थे, उनका पुनर्वास किया है। ढाई लाख सूखे हुए कुएं को पुनर्जीवित किया है... लाचारी-बेकारी व बीमारी मिटाने का प्रयास किया है ! बाढ़ और सूखे का प्रबन्धन न होना कुप्रबंधन है ।
समुदाय स्तर पर ही जल प्रबंधन विकेंद्रीकृत व्यवस्था होनी चाहिए अपने दैनिक जीवन में पानी का सही उपयोग, पुनरुपयोग,कई बार उपयोग होना जरूरी है... उन्होने लोगों के प्रश्नों के उत्तर दिए ... डॉ.जनक पलटा मगिलिगन और कार्यक्रम के होस्ट और संयोजक स्टार्टअप मेंटर और इंदौरवाले ग्रुप के फाउंडर ने समीर शर्मा ने आभार व्यक्त किया और विश्वास दिलाया कि जल संरक्षण पर सोशल ग्रुप पर काम शुरू करेंगे...
इस से एक दिन पूर्व UNEP भारत के प्रमुख अतुल बगाई ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर के पर्यावरण संवाद सप्ताह का उद्घाटन कर कहा कि "मैं यहां शामिल हो कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं, जनक पलटा पिछले 28 वर्षों से विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है और सतत विकास में अद्भुत काम कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2021-2030 को पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक घोषित किया और UNEP India इसे विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून, 2021 को लॉन्च करेगा।
यूएनईपी इस कार्यक्रम को जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट और इंदौर क्षेत्र के लोगों के सहयोग से कार्यांवित कर सकेगा। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि पिछले 40-50 वर्षों में जंगलों, जानवरों, प्रदूषण के विनाश ने कोविड जैसी महामारी को जन्म दिया है। पर्यावरण और स्वास्थ्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हम सभी को इसमें आम लोगों को शामिल करने और सामान्य बोली जाने वाली, समझने योग्य भाषा का उपयोग करने की आवश्यकता है।
सभी पर्यावरणविद नेता और शोधकर्ता, व्यवसाय, किसान, उद्योग कॉर्पोरेट पर्यावरणविद, वैज्ञानिक और सरकार को एकजुट होकर जलवायु के इस खतरनाक आपातकाल से उबरने के लिए काम करना होगा। प्रकृति से खिलवाड़ और शोषण करने के विश्व्यापी परिणामों के आज हम सब भुक्त भोगी हैं ,इससे सीख कर और सभी पारिस्थितिक तंत्रों के प्रति हमारे व्यवहार से सकारात्मक परिवर्तन लाने होने। सरकार और सभी लोग , संस्थाए संगठित हो अपने हित से ऊपर उठेंगे तभी यह सम्भव होग।.. इंदौर ने स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन 2018 के प्लास्टिक मुक्त आईपीएल क्रिकेट मैच की मिसाल कायम की है, जब आईआईएम इंदौर द्वारा अध्ययन किया गया था, यह आप जैसे सभी लोगों के जुनून के कारण यह था।
आज यह देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह एक सफल उदाहरण बन गया। अपशिष्टमुक्त क्रिकेट मैचों को बढ़ावा देने का उदाहरण। हमें प्रकृति के साथ शांति से रहना सीखना होगा, न कि उसका दुरुपयोग करना चाहिए। हमें प्रकृति से दर्जनों चीजें मिलती हैं। हमारे सभी आर्थिक समाधान और जीवन शैली पर्यावरण अनुकूल हो, हमारा ध्यान प्रकृति आधारित होना चाहिए, हम वन ,पेड़ पौधों की रक्षा करें, हवा,पानी मिटटी को संरक्षित करें और अपने जीवन में फलने-फूलने का आनंद लें।
पर्यावरण संवाद सप्ताह के आगामी आयोजन में आप फेसबुक और यूट्यूब लिंक पर जाकर शामिल हो सकते हैं..यह आयोजन सभी के लिए निशुल्क है....