वृक्ष लगाओ रे सब मिलकर...विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष कविता

बुधवार, 5 जून 2024 (15:56 IST)
प्रदीप नवीन
 
वृक्ष लगाओ रे,
उसके बढने तक बेटे सा
सब अपनाओ रे।
वृक्ष लगाओ रे....
 
सूनी सूनी सारी
जगह पर
फैलेगी हरियाली,
मत पूछो फिर इन
आँखों  में
क्या होगी खुशहाली ।
झूम झूमकर नाचो गाओ
गीत सुनाओ रे।
वृक्ष लगाओ रे.....
 
चप्पे चप्पे पर वृक्षों की
ऐसी भीड लगाएं,
नीलगगन के सारे पंछी
उन पर नीड बनाएं ।
प्रेम से छत पे
उन्हें  बुलाके
दाना खिलाओ रे।
वृक्ष लगाओ रे.....
 
पत्थर खाकर फिर भी 
तो  वे
हमको फल हैं देते
आज भी देते हैं खुशी से
ओर सुबह कल देते।
अपने हाथ में
देखके पत्थर
कुछ शरमाओ रे।
वृक्ष लगाओ रे.....
         
माया पाने की खातिर
छाया को डांट रहे हैं ,
निर्दयता से हरे भरे
वृक्षों को
काट रहे हैं।
फिर भी चुप्पी
वातावरण में
मत चिल्लाओ रे।
वृक्ष लगाओ रे.....
          
सोचो एसे घटती रहेगी
नित दिन सबकी आयु,
ढूँढे से भी शुद्ध किसीको
नहीं मिलेगी वायु ।
हर मौसम में है   
परिवर्तन
 
ये समझाओ रे ।
वृक्ष लगाओ रे.....
 
नीम और पीपल
के पत्तों में
औषध गुण हैं बाकी,
बरगद ने बाँहें फैलाकर
खूब जमाई झांकी।
वृक्ष ही कहते सब
प्यासे हैं
 
जल बरसाओ रे।
वृक्ष लगाओ रे......
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