कोपनहेगन। जलवायु परिवर्तन पर डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में 18 दिसंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में दुनियाभर से आए 15 हजार अधिकारी, पर्यावरणविद् और पत्रकार भाग ले रहे हैं। आशा है दो वर्षों के प्रयास के बाद सम्मेलन में शामिल हो रहे 193 देश जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए किसी ठोस नतीजे पर पहुँचने की कोशिश करेंगे।
सम्मेलन में डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने कहा कि 18 दिसंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह, चीनी प्रधानमंत्री वन् च्यापाओ समेत दुनिया के 110 नेताओं ने भाग लेने के लिए सहमति दी है। इसमें 193 देश अधिकाधिक भूमि के रेगिस्तान में तब्दील होने, समुद्र जल स्तर बढ़ने व अन्य खतरों के बीच ठोस नतीजे पर पहुँचने की कोशिश करेंगे।
यह सम्मेलन धरती को बचाने का बड़ा मौका है। अगले दो हफ्ते कोपनहेगन होपनहेगन (आशाओं का शहर) रहेगा। दुनिया के कई नेता जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने पर एक राय बना सकते हैं। लार्स लोक्के रासमुसेन, प्रधानमंत्री डेनमार्क
दुनिया में तूफानों, गर्म हवाओं और बाढ़ के अत्यधिक प्रभाव को कम करने के प्रयास करने होंगे वरना भविष्य में समुद्र का जलस्तर सात मीटर बढ़ जाएगा। त्वरित कार्रवाई की जरूरत है और इसमें देरी की गई तो मानव जाति को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। आरके पचौरी, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र पैनल के प्रमुख