बांग्लादेश में तख्तापलट और शेख हसीना के निर्वासन के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में लगातार खटास आती जा रही है। दूसरी तरफ भारत से रिश्ते सुधारने की बजाए बांग्लादेश चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है। चीन भी भारत में घुसपैठ के लिए बांग्लादेश को अपना कंधा बनाने की फिराक में है। उधर पाकिस्तान और भारत की दुश्मनी जगजाहिर है, ऐसे में भारत इन तीन देशों के बीच ठीक उसी तरह घिरा हुआ नजर आता है, जैसे इजरायल अपने दुश्मन देशों के बीच घिरा हुआ था। इसे भारत के लिए खतरे की घंटी की तरह देखा जाना चाहिए।
यूनुस के बयान से बांग्लादेश बेनकाब : चीन से मुलाकात के बाद मोहम्मद यूनुस का असल चेहरा बेनकाब हो गया है। यूनुस ने फेसबुक पर वीडियो पोस्ट किया है। जिसमें उन्होंने बांग्लादेश ने चीन को अपने यहां निवेश के लिए आमंत्रित किया है। इसके साथ ही यूनुस ने पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों के साथ-साथ नेपाल और भूटान से सटी सीमाओं का भी जिक्र किया। वहीं, बांग्लादेश ने खुद को महासागर का एकमात्र संरक्षक बताया है। इस बयान के साथ एक तरह से बांग्लादेश ने भारत के खिलाफ अपने रुख की घोषणा कर दी है।
चीन-बांग्लादेश के बीच कुल 9 समझौते : बता दें कि हसीना के बांग्लादेश से जाने और भारत में शरण लेने के बाद से बांग्लादेश और भारत के बीच तल्खियां बढ़ गई हैं। अब यूनुस की सरपरस्ती में चीन और बांग्लादेश के बीच कुल 9 समझौते हुए हैं। वहीं, शी जिनपिंग और यूनुस के बीच हुई बैठक से जुड़े एक बयान को लेकर भी भारत की ओर से बहुत सकारात्मक तरीके से नहीं देखा जा रहा है।
बांग्लादेश समुद्र का एकमात्र गार्जियन : यूनुस के फेसबुक बयान में यूनुस चीन के सामने भारत के उत्तर-पूर्व के 7 राज्यों का जिक्र कर यह कहा है कि भारत के पास समुद्र तक पहुंचने का कोई दूसरा रास्ता नहीं। बांग्लादेश उस क्षेत्र में समुद्र का एकमात्र गार्जियन हैं। ऐसे में चीन और बांग्लादेश की ये नजदीकी कई लिहाज से भारत के लिए अलार्म की तरह है। एक ओर तीस्ता नदी विकास परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ीं हैं। साथ ही नॉर्थ-ईस्ट के मद्देनजर बांग्लादेश का चीन को प्रस्ताव भी खतरे की घंटी की तरह है।
बांग्लादेश-पाकिस्तान की नजदीकी भारत की मुसीबत : बांग्लादेश चीन की नजदीकी के साथ ही पाकिस्तान से बांग्लादेश की नजदीकी भी भारत के लिए बहुत ज्यादा टेंशन वाली बात है। बता दें कि पाकिस्तान के डिप्टी PM और विदेश मंत्री इशाक डार ने ऐलान किया है कि वह अगले महीने बांग्लादेश जाएंगे। 2012 के बाद यह किसी पाकिस्तानी मंत्री की पहली यात्रा होगी। 22 अप्रैल को होनी वाली ये यात्रा डिप्लोमेसी के लिहाज से बेहद खास मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए दोनों देशों के बीच नजदीकी बढ़ाने पर पहल होगी। इस बीच, अप्रैल की शुरुआत में BIMSTEC समिट में पीएम मोदी और यूनुस का आमना सामना भी होगा।
भारत क्यों भेज रहा ईद की बधाई : इतना सबकुछ होने के बाद भी बांग्लादेश को लेकर भारत की रणनीति फिलहाल समझ से परे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को ईद की बधाई दी। पीएम मोदी ने एक संदेश भेजकर मुस्लिम बहुल पड़ोसी देश के लोगों को ईद-उल-फित्र की बधाई दी। मोहम्म यूनुस की प्रेस इकाई द्वारा साझा किए गए संदेश में कहा गया है, रमजान का पवित्र महीना समाप्त हो रहा है, मैं इस अवसर पर आपको और बांग्लादेश के लोगों को ईद-उल-फित्र के त्योहार के खुशी के मौके पर हार्दिक बधाई देता हूं। मोदी ने इस मौके को उत्सव, कृतज्ञता और एकता का समय बताया और कहा— यह हमें करुणा, उदारता और एकजुटता के मूल्यों की याद दिलाता है, जो हमें राष्ट्रों और वैश्विक समुदाय के सदस्यों के रूप में एकसाथ बांधते हैं।
हसीना के बाद बदला बांग्लादेश : बता दें कि मुक्ति संग्राम जंग में भारत की भूमिका को लेकर बांग्लादेश हमेशा से सम्मान करता रहा है, लेकिन शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद बांग्लादेश भारत का मुखर विरोधी हो गया है। 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के तख्तापलट के बाद नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंध तनाव में आ गए थे, यह घटना छात्रों के सरकारी नौकरियों में भर्ती में आरक्षण समाप्त करने की मांग को लेकर किए गए आंदोलन पर की गई कार्रवाई के खिलाफ व्यापक विरोध के मद्देनजर हुई थी। हाल ही में पीएम मोदी ने बांग्लादेश को एक खत लिखते हुए 1971 के मुक्ति संग्राम का जिक्र करते हुए बांग्लादेश को नए राष्ट्र के निर्माण में भारत की भूमिका के बारे में याद दिलाया। यह कदम बांग्लादेश में दमनकारी पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ाई और भारत के खिलाफ अभियान में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की भूमिका के इतिहास को मिटाने के प्रयासों के बीच उठाया गया है।
क्या फिर होगा तख्तापलट : बता दें कि दो हफ्ते पहले ही बांग्लादेश में आवामी लीग पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया था कि शेख हसीना जल्द ही प्रधानमंत्री के तौर पर देश लौटेंगी। आवामी लीग के नेता रब्बी आलम ने कहा था कि युवा पीढ़ी ने गलती की है, लेकिन उन्हें बहकाया गया। आलम के इस बयान के बाद से ही छात्र संगठनों ने प्रदर्शन शुरू किए। खासकर जातीय नागरिक पार्टी (जिसे नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) के तौर पर भी जाना जाता है) के नेताओं ने इस मामले में सेना को घेर लिया और आरोप लगाया कि बांग्लादेश की सेना ही अपदस्थ प्रधानमंत्री की पार्टी आवामी लीग को फिर स्थापित करने की साजिश रच रही है। पार्टी के नेता हसनत अब्दुल्ला ने कहा कि सेना की यह कोशिश सैन्य समर्थित साजिश है और इसे किसी भी कीमत पर विफल किया जाएगा।
Edited By: Navin Rangiyal