तोमर ने अपने बयान में कहा कि सरकार खुले मन से किसानों की समस्याओं पर चर्चा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि 19 जनवरी की वार्ता में किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों के संबंध में बिंदुवार बातचीत करें और इन कानूनों का विकल्प सुझाए। सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों का क्रियान्वयन रोक दिया है। ऐसे में किसान संगठन को ठोस विकल्प देना चाहिए।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार पूरे देश के हित में कोई कानून बनती है। देश के अधिकांश किसान, वैज्ञानिक, कृषि से जुड़े लोग इसके साथ हैं लेकिन किसान संगठन टस से मस होने का नाम नहीं ले रहे हैं और अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।
तोमर ने कहा कि सरकार ने किसान संगठनों के साथ एक बार नहीं, नौ बार घंटों बातचीत की है। किसानों से आग्रह किया गया है कि वे कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करें। उनका कोई सुझाव है तो सरकार उस पर संशोधन करने को तैयार है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान संगठनों को पहले ही बिंदुवार चर्चा का अनुरोध किया था, लेकिन उस पर ठोस जवाब नहीं आया। फिर सरकार ने ही कुछ बिंदुओं की पहचान की और मंडी, व्यापारियों के निबंधन तथा अनुबंध कृषि को लेकर कई रास्ते सुझाए।
किसानों और व्यापारियों में विवाद की स्थिति में एसडीएम कोर्ट की जगह न्यायालय का विकल्प भी दिया गया। कृषि मंत्री ने कहा कि पराली जलाने संबधी और बिजली कानून भविष्य की बात है, लेकिन सरकार ने उस पर भी बात की है। (वार्ता)