US कर सकता है 25% अतिरिक्त टैरिफ की समीक्षा, भारत सरकार का क्या है एक्शन, किन सेक्टर्स पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 27 अगस्त 2025 (19:36 IST)
अमेरिका ने भारतीय प्रोडक्ट पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिससे कई छोटे निर्यातकों और सेक्टरों पर दबाव बढ़ गया है। हालांकि मीडिया खबरों के मुताबिक भारत को उम्मीद है कि अमेरिका इस फैसले पर दोबारा विचार करेगा। भारत ने रूस से क्रूड ऑइल खरीद रहा है, जिसे लेकर अमेरिका नाराज है। इसी वजह से अमेरिका ने भारत से आने वाले प्रोडक्ट पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। यह टैरिफ पहले से ही लागू ट्रंप सरकार के 25% टैरिफ के अलावा है। यानी अब भारतीय सामानों पर कुल 50% तक का टैक्स देना पड़ रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक भारत-अमेरिका में बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं। दोनों पक्षों में सकारात्मक संकेत मिले हैं।

निर्यातकों को घबराने की जरूरत नहीं
भारत और अमेरिका के बीच शुल्क विवाद पर बातचीत के रास्ते खुले हैं और इसे सुलझाने के प्रयास जारी रहेंगे। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह कहा। अमेरिका सरकार ने बुधवार से कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत से अमेरिका को होने वाले वस्तुओं के निर्यात पर 50 प्रतिशत तक शुल्क लगा दिया है।
 
सूत्रों ने कहा कि भारतीय निर्यात की विविध प्रकृति को देखते हुए (शुल्कों का) प्रभाव उतना गंभीर होने की संभावना नहीं है, जितना आशंका जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत और अमेरिका के बीच बातचीत के रास्ते खुले हैं। सूत्रों ने निर्यातकों को आश्वासन देते हुए कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है और यह केवल भारत और अमेरिका के बीच दीर्घकालिक संबंधों में एक अस्थायी चरण है।
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सरकार का क्या है एक्शन
सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अमेरिका भारत को टैरिफ में राहत दे सकता है। टेक्सटाइल, चमड़ा, गहने और आभूषण जैसे सेक्टरों के निर्यातकों से बातचीत हो रही है ताकि इन सामानों को दूसरे देशों में भेजा जा सके। इसके साथ ही, सरकार उन व्यापारियों को वित्तीय मदद देने पर भी विचार कर रही है जो इस टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।  
 
किन क्षेत्रों पर पड़ सकता है असर 
विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में 50 प्रतिशत टैरिफ  लगाए जाने से वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों पर दबाव बढ़ने से गुरुवार को घरेलू शेयर बाजारों में इन क्षेत्रों के निवेशकों में थोड़ी घबराहट देखने को मिल सकती है।
 
भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत अमेरिकी सीमा शुल्क बुधवार से प्रभावी हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद जारी रखने को लेकर भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसके पहले भी 25 प्रतिशत टैरिफ लगा हुआ था।
 
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्‍स
विश्लेषकों का मानना है कि वस्त्र एवं परिधान, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा एवं जूते, पशु उत्पाद, रसायन, विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी जैसे क्षेत्रों को इस शुल्क वृद्धि का सबसे अधिक नुकसान हो सकता है। हालांकि, दवा, ऊर्जा उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर यह शुल्क लागू नहीं है।
 
बढ़ा हुआ शुल्क बुधवार से लागू हो गया है लेकिन घरेलू शेयर बाजारों के गणेश चतुर्थी की वजह से बंद होने से इसका असर देखने को नहीं मिला है। ऐसे में गुरुवार का कारोबारी सत्र काफी अहम होने वाला है।
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जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि बाजार में गिरावट के साथ शुरुआत संभव है, लेकिन घबराहट की संभावना कम है क्योंकि 50 प्रतिशत शुल्क लगने की अपेक्षा पहले से ही थी। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बिकवाली जारी रख सकते हैं, लेकिन नकदी से लैस घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) निचले स्तरों पर तगड़ी खरीदारी करेंगे।"
 
उन्होंने कहा कि इस टैरिफ  का असर मुख्य रूप से वस्त्र, कुछ मशीनरी और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र पर पड़ेगा, लेकिन कुल मिलाकर कंपनी आय पर इसका असर नगण्य रहेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 6,516.49 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 7,060.37 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की।
 
मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया ने कहा कि अमेरिका के 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने से बाजार पहले ही प्रभावित हो चुका है। मंगलवार को निफ्टी 255.70 अंक गिरकर 24,712 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स में 849.37 अंकों की गिरावट रही। वस्त्र, रसायन, कृषि उत्पाद और रत्न-आभूषण जैसे निर्यात-आधारित क्षेत्र अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता खो सकते हैं।" इसके साथ ही सिंघानिया ने कहा कि निर्यात-आधारित कंपनियों के आय अनुमान में कमी आ सकती है जबकि घरेलू मांग पर आधारित क्षेत्र और दवा एवं सूचना प्रौद्योगिकी जैसे रक्षात्मक क्षेत्र निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं।
 
ऑनलाइन ब्रोकरेज फर्म ट्रेडजिनी के मुख्य परिचालन अधिकारी त्रिवेश डी ने कहा, "अमेरिका में 27 अगस्त से अतिरिक्त शुल्क लागू होने के बाद बाजार की पहली प्रतिक्रिया धारणा पर आधारित हो सकती है। उच्च शुल्क से वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा और समुद्री उत्पाद जैसे क्षेत्रों के लिए चुनौती बढ़ेगी। हालांकि समग्र रूप से बाजार एक सीमित दायरे में बना रह सकता है और क्षेत्रों के बीच रोटेशन देखने को मिल सकता है।" वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के कुल 437.42 अरब डॉलर के निर्यात में से लगभग 20 प्रतिशत अमेरिका की हिस्सेदारी रही थी। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

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