वेबदुनिया से बातचीत में किसान आंदोलन की प्रमुख रणनीतिकार मेधा पाटकर कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों को लागू करने रोकना एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि वह कोर्ट की बनाई किसान कमेटी में नहीं जाएंगे। वह कहती हैं कि किसान संगठनों की मांग कानून वापसी की है, इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटी ने नहीं जाने का निर्णय लिया है। वह आगे कहती है कि कमेटियों को लेकर हमारे अनुभव अच्छे नहीं रहे है। ऐसे मामले कमेटियों में जाने से लंबे खींच जाते है क्योंकि समय सीमा नहीं होती है। वहीं कमेटियों में सरकार के गलत आरोप लगाते हुए हस्तक्षेप भी देखा गया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आज नए कृषि कानूनों के लागू करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। आज सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाने के साथ इस मुद्दे को हल करने और बातचीत के लिए चार सदस्यीय कमेटी बना दी है। इस कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के बाद भूपेंद्र सिंह मान, कृषि एक्सपर्ट अशोक गुलाटी, महाराष्ट्र के शेतकारी संघटना के अनिल घनवत और डॉ. प्रमोद कुमार जोशी को शामिल किया गया है।