2024 तक जारी रहेगा किसान आंदोलन, मोदी सरकार को उखाड़ने तक डटे रहेंगे : टिकैत

Webdunia
बुधवार, 10 मार्च 2021 (20:20 IST)
मुजफ्फरनगर। किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत के पुत्र नरेन्द्र टिकैत ने कहा है कि केंद्र के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शेष साढ़े 3 साल तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहने को तैयार हैं।

नरेन्द्र उनके पिता द्वारा 1986 में गठित भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) में किसी आधिकारिक पद पर नहीं है और ज्यादातर परिवार की कृषि गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन किसानों से संबंधित मुद्दों पर वे उतने ही मुखर हैं जितने कि उनके 2 बड़े भाई नरेश और राकेश टिकैत।
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नरेश टिकैत और राकेश टिकैत इन कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन का पिछले 100 दिनों से अधिक समय से नेतृत्व कर रहे हैं।  मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में स्थित अपने आवास पर 45 वर्षीय नरेन्द्र ने कहा कि उनके 2 भाइयों सहित पूरा टिकैत परिवार आंदोलन से पीछे हट जाएगा, यदि उनके परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ यह बात साबित कर दी जाए कि उन्होंने कुछ भी गलत किया है। उन्होंने कुछ वर्गों के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि उन्होंने आंदोलन से संपत्ति और धन अर्जित किया है।
 
नरेन्द्र के सबसे बड़े भाई नरेश टिकैत बीकेयू के अध्यक्ष हैं जबकि राकेश टिकैत संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में बीकेयू ने गन्ने की ऊंची कीमतों, ऋणों को रद्द करने और पानी और बिजली की दरों को कम करने की मांग को लेकर मेरठ की घेराबंदी की थी। उसी वर्ष बीकेयू ने किसानों की दुर्दशा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दिल्ली के बोट क्लब में 1 सप्ताह तक विरोध प्रदर्शन किया था।
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महेंद्र सिंह टिकैत की 2011 में मृत्यु के बाद नरेश और राकेश टिकैत विभिन्न भूमिकाओं में मुख्य संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं, हालांकि देश के विभिन्न हिस्सों में वर्षों से कई गुट उभरे हैं। नरेन्द्र ने कहा कि केंद्र इस गलतफहमी में है कि वह किसानों के विरोध को उसी तरह कुचल सकता है, जैसा कि उसने विभिन्न रणनीतियों का इस्तेमाल कर पूर्व में हुए अन्य आंदोलनों को कुचला था। उन्होंने कहा कि मैं यहां सिसौली में हूं, लेकिन मेरी नजर वहां पर है।
 
उन्होंने कहा कि वे गाजीपुर की सीमा पर जाते रहते हैं, जहां नवंबर 2020 से सैकड़ों किसान और बीकेयू समर्थक डेरा डाले हुए हैं। नरेन्द्र ने कहा कि इस सरकार को गलतफहमी है, शायद इसलिए कि इस तरह के विरोध का सामना उसे कभी नहीं करना पड़ा, लेकिन हमने आंदोलन देखे हैं और 35 वर्षों से इसका हिस्सा हैं। इस सरकार को केवल छोटे विरोधों का सामना करने और विभिन्न रणनीति के माध्यम से उन विरोध प्रदर्शनों को दबाने का अनुभव है।
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उन्होंने कहा कि वे किसी भी तरह से इस विरोध को कुचल नहीं सकते। यह तब तक जारी रहेगा, जब कि तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं। इस सरकार का कार्यकाल साढ़े 3 साल का है और हम उसके कार्यकाल के अंत तक आंदोलन जारी रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार बार-बार कहती है कि फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाएगा तो वे इसे लिखित रूप में क्यों नहीं दे सकते? वे रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने की बात कहते रहते हैं, लेकिन यह सब्सिडी भी खत्म हो गई है।
 
टिकैत ने आरोप लगाया कि केंद्र ने स्कूल शिक्षा क्षेत्र के लिए यही काम किया है, जहां निजी संस्थान पैसे कमा रहे हैं जबकि सरकारी संस्थानों की स्थिति और खराब होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अब वे चाहते हैं कि व्यावसायिक घराने फसलों का भंडारण करें और बाद में वांछित दरों पर बेच दें। उनका प्रयास व्यवसाय के लिए है और यही एजेंडा है।
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उन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कि टिकैत परिवार के पास करोड़ों की जमीन है और क्षेत्र में बीकेयू गुंडागर्दी में शामिल है? उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है कि वे (सरकार) हमारे खिलाफ कुछ साबित कर सकें और इसलिए ऐसा (आरोपों को लगाना) हो रहा है।

यदि वे हमारे परिवार के किसी एक सदस्य में भी कोई दोष पाते हैं तो हम दिल्ली से लौट आएंगे। उन्होंने बीकेयू द्वारा गुंडागर्दी के आरोपों को भी गलत बताया। उन्होंने कहा कि हम ऐसा क्यों करेंगे? कुछ तो यह भी कहते हैं कि हम विरोध प्रदर्शन के लिए पैसे ले रहे हैं। हमारे 200 से अधिक किसानों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान अपना बलिदान दिया है। विरोध के लिए पैसे लेने का कोई सवाल नहीं है, क्योंकि हमारे पास किसी भी संसाधन की कमी नहीं है।
 
उनके सबसे बड़े भाई नरेश टिकैत बालियान खाप के प्रमुख हैं। नरेन्द्र ने कहा कि हमारे 84 गांव हैं (बालियान खाप से संबंधित)। इस हिसाब से हमारे पास 3 लाख बीघा जमीन है। जब हमारे पिता का निधन हो गया तो उन्होंने 84 गांवों की जिम्मेदारी हमारे ऊपर दी थी। हम 84 गांवों के चौधरी हैं और ये सब केवल हमारे हैं। ज्यादा पैसे हासिल कर हमें क्या करना है? 
 
टिकैत ने सोरम में एक 'सर्व खाप' बैठक में संकेत दिया कि यदि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी रहा और सरकार किसानों की मांगों पर सहमत नहीं होती है तो निकट भविष्य में और क्षेत्रीय समर्थन जुटाया जाएगा।  

बंगाल में भाजपा की परेशानी बढ़ाएंगे राकेश टिकैत : भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने आगामी 13 मार्च को कोलकाता जाने का ऐलान करते हुए बुधवार को कहा कि वे किसानों से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर चर्चा करके भाजपा को पराजित करने का आह्वान करेंगे। हालांकि वे किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे।
 
टिकैत ने सिकंदरपुर के चेतन किशोर मैदान में किसान महापंचायत को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वे 13 मार्च को कोलकाता जाएंगे और वहीं से निर्णायक संघर्ष का बिगुल फूकेंगे।
 
टिकैत ने आरोप लगाया कि देश के किसान भाजपा की नीतियों से त्रस्त हैं। वह पश्चिम बंगाल के किसानों से चुनाव पर चर्चा करेंगे और भाजपा को हराने का आह्वान करेंगे। साथ ही कहा कि वह किसी भी दल के पक्ष में अपील या किसी का समर्थन बिल्कुल नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पश्चिम बंगाल में वोट मांगने नही जा रहे हैं।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। इसके पूर्व, टिकैत ने किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा।
 
उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि दिल्ली से लुटेरों को भगाना है। वह आखिरी बादशाह साबित होगा।' भाकियू नेता ने किसानों को 'एक गांव, एक ट्रैक्टर और 15 आदमी' का नारा दिया और कहा कि 10 दिन की तैयारी कर लें। किसी भी वक्त दिल्ली कूच करने के लिए आह्वान किया जा सकता है। उन्होंने बिहार में भी आंदोलन को धार देने का आह्वान किया।
 
आंदोलन को लेकर किसानों में मतभेद के दावों को खारिज करते हुए टिकैत ने कहा कि अब झंडे को लेकर कोई भी एतराज नहीं करता। उन्होंने कहा कि एकजुट न होने के कारण ही किसान लुटे हैं। भारत के किसानों के आंदोलन की अनुगूंज पूरी दुनिया में होने लगी है।

टिकैत ने आंदोलन को किसानों के आत्मसम्मान का प्रतीक करार देते हुए आगाह किया कि किसान पराजित हो गया तो मजदूर व नौजवान भी पराजित हो जायेगा। उन्होंने कहा कि पूरी ताकत के साथ संगठित होकर लड़ाई लड़नी है। (भाषा)

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