नए कृषि कानूनों को वापस लेकर मोदी सरकार ने एक बार फिर देश को चौंका दिया है। कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपने संबोधन में कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लाख कोशिशों के बाद किसानों के एक वर्ग को समझा नहीं पाए इसलिए सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला कर रही है। इसके साथ प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा।
मोदी सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले पर वेबदुनिया ने संयुक्त किसान मोर्चो समन्वय समिति के सदस्य और किसान आंदोलन के प्रमुख नेता शिवकुमार शर्मा कक्काजी से Exclusive बातचीत की। वेबदुनिया से बातचीत में शिवकुमार शर्मा मोदी सरकार के कृषि कानूनों के वापस लेने के फैसले का स्वागत करते हुए कहते हैं सरकार ने एमएसपी (MSP) के गांरटी के कानून की बात अभी नहीं की है। हमारी दो प्रमुख मांग थी एक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लें और दूसरी एमएसपी पर गारंटी का कानून बनाए और जब तक सरकार MSP पर गारंटी कानून नहीं बनाती है तब तक किसान आंदोलन चलता रहेगा।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा कक्काजी से वेबदुनिया ने एक्सक्लूसिव बातचीत में साफ कहते है कि जब तक तक सरकार MSP पर कानून नहीं बनाती है तब तक किसान आंदोलन चलता रहेगा और किसान वापस नहीं लौटेंगे। कक्काजी केंद्र कहते हैं कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में ही MSP पर गारंटी कानून का बिल लेकर आए।
MSP पर कमेटी बनाने का फैसला मंजूर नहीं- MSP पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कमेटी बनाने के फैसले पर किसान नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि कमेटियों के परिणाम कभी अच्छे नहीं रहे है। आजादी के बाद किसानों की समस्या को हल करने के लिए पांच आयोग बन चुके है लेकिन किसी भी सरकार ने आयोगों की सिफारिशों को लागू किया है। हमारा यह मानना है कि MSP पर गारंटी कानून बना दें। अगर सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लिया है तो हम सरकार को धन्यवाद देते है और अब MSP पर गारंटी कानून बना दें फिर किसान आंदोलन समाप्त होगा जाएगा।
शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही एलान कर दिया था कि हम 2024 तक बैठेंगे। काले कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर किसान तप और तपस्या कर रहे थे और अब जब तक MSP पर गारंटी कानून नहीं बन जाता तब तक हम बैठे रहेंगे।
वेबदुनिया के इस सवाल पर क्या मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह फैसला लिया है इस पर शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि किसान आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो चुका था और जो परिणाम सरकार देख रहे थी उससे जरूर चिंतित होगी।
किसान आंदोलन के प्रमुख नेता शिवकुमार शर्मा कहते हैं कि देश भर के किसान लगातार सरकार से काले कृषि कानूनों के वापस लेने का निवेदन कर रहे थे। सरकार से 11 दौर की बातचीत हुई लेकिन सरकार अड़ी रही हमने बार-बार कहा कि हमें कानून नहीं चाहिए लेकिन सरकार कोई गंभीरता नहीं दिखा रही थी। लेकिन हमें पूरा भरोसा और विश्वास था कि यह लड़ाई हम जीतेंगे और हम आंदोलन को 2024 तक ले जाने की तैयारी में थे। एक साल से आंदोलन पर बैठ किसान तमाम समस्याओं से जूझ रहा था लेकिन उसके जज्बे में कोई कमी नहीं थी। वहीं आगे की रणनीति पर शिवकुमा शर्मा कहते हैं कि आज संयुक्त किसान मोर्चा की एक इमरजेंसी बैठक बुलाकर सरकार के इस फैसले के बाद अगली रणनीति तय की जाएगी।