खट्टर ने आंदोलनकारी किसानों को विरोध के हिंसक तरीकों का सहारा लेने के खिलाफ भी आगाह किया, जो उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और समाज को उनके खिलाफ कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी कार्य में बाधा स्वीकार नहीं की जाएगी। हर स्वतंत्रता की सीमाएं होती हैं। कोई भी आजादी पूर्ण नहीं होती है।
उन्होंने कहा था, जो भी कार्रवाई उचित समझी जाएगी, सरकार निश्चित रूप से करेगी। खट्टर ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के वास्ते हरियाणा को चुनने में पंजाब सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, इसमें पंजाब सरकार का स्पष्ट हाथ है। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि अगर ऐसा नहीं होता तो बीकेयू (भारतीय किसान यूनियन) नेता बलबीर सिंह राजेवाल पंजाब जाकर वहां के मुख्यमंत्री को मिठाई नहीं खिलाते।
खट्टर ने करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज को लेकर उनसे इस्तीफा मांगने पर पंजाब के अपने समकक्ष अमरिंदर सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि टीकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैठे अधिकांश लोग (मैं कहूंगा कि लगभग 80 प्रतिशत) पंजाब से हैं। खट्टर ने दावा किया कि हरियाणा के किसान खुश हैं।(भाषा)