मंडियों की व्यवस्था को सुदृढ़ करने, विवाद के समाधान के लिए उपजिलाधिकारी की बजाय अदालत में जाने, कारोबारियों के पंजीकरण, अनुबंधित खेती के समझौते के पंजीकरण और बिजली बिल आदि की मांगों पर सरकार किसानों की मर्जी के अनुरूप बात करने को तैयार है। इस बारे में किसानों को प्रस्ताव भी भेजा गया है। अब सरकार को किसानों के जवाब का इंतजार है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसानों की अनेक यूनियनें आंदोलन में शामिल हैं। संभवत: उनमें एकराय बन नहीं पा रही है इसीलिए एक रास्ता तय नहीं हो पा रहा है। उन्होंने एक अखबार की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि आंदोलन में कुछ गलत तत्व प्रवेश कर गए हैं और किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए। यदि ऐसे तत्व कुछ गलत करने में कामयाब हो गए तो आंदोलन को नुकसान होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से अनुशासन के साथ चला है जिसके लिए वे किसानों के आभारी हैं। (वार्ता)