किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को रेल रोको आंदोलन का आह्वान कर रखा है। लेकिन, सिंघु बॉर्डर पर हुई घटना ने न सिर्फ किसान संगठनों को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है, बल्कि लोगों की घटती संख्या से उनके हौसले पर भी असर पड़ता दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों दो टूल कहा है कि इस तरह से सड़कों को जाम करके बैठना किसी का अधिकार नहीं है और जब उसने इन कानूनों पर रोक लगा रखी है तो फिर इस तरह के प्रदर्शन का औचित्य ही क्या है? संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि सुबह 10 से शाम 4 बजे तक रेल-पटरियों पर धरना प्रदर्शन कर ट्रेन रोकी जाएंगी।