नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर 2 सप्ताह से अधिक समय से हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रदर्शन कर रहे हैं और ऐसे में गुरुद्वारा समितियों और एनजीओ ने यह सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराए हैं कि मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण आंदोलन प्रभावित न हो।
1 घंटे में 1,000 से 1,200 रोटियां बनाने वाली मशीन, कपड़े धोने की मशीनें और मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉलियां पर लगाए गए सौर पैनल जैसे तकनीकी संसाधन यह सुनिश्चित कर रहे हैं, प्रदर्शनकारियों की मुश्किलें कम की जा सकें।
कई दिनों से अपने घरों से दूर रहे किसानों के लिए एक बड़ी समस्या कपड़े धोने की थी। कुछ किसान पहले पेट्रोल पंपों पर कपड़े धो रहे थे और नहा रहे थे, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में तापमान काफी गिर गया और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ गई। ऐसे में कुछ किसानों और अन्य लोगों ने कपड़े धोने की मशीनों का प्रबंध किया।
उन्होंने कहा कि मैं सुबह 6 बजे उठता हूं और लोगों को रात आठ बजे तक कपड़े धोने में मदद करता हूं। कपड़े धोने की जगह से कुछ ही दूरी पर पुष्पिंदर सिंह का चार्जिंग स्टेशन है। सिंह (36) ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों की आवश्यकताएं समझते हुए ट्रैक्टर ट्राली के ऊपर 100-100 वॉट के दो सौर पैनल लगाने का फैसला किया।