Chaitra Navratri Ram Navami food : हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार दुर्गा नवमी और श्री राम नवमी के दिन भगवान श्री राम के पूजन-आरती के पश्चात उन्हें भोग यानी नैवेद्य चढ़ाया जाता है। उनके पूजन के बाद प्रसाद में धनिया पंजीरी, फलाहारी हलवा आदि कई पकवान बनाकर उन्हें भोग के रूप में अर्पित जाता है।
यदि आप भी श्री राम की अपार कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो चैत्र शुक्ल नवमी यानी राम नवमी और दुर्गा नवमी के इस खास अवसर पर निम्न प्रसादों को भोग स्वरूप अवश्य ही चढ़ाएं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें।
आइए जानते हैं यहां 6 खास रेसिपीज के बारे में-
1. धनिया पंजीरी
सामग्री : 100 ग्राम साबुत खड़ा धनिया, 100 ग्राम पिसी शकर, 1/4 छोटी कटोरी कटे हुए मखाने, 25 ग्राम सूखे खोपरे के टुकड़े, काजू और बादाम की कतरन, 2-3 पिसी हुई इलायची, कुछेक किशमिश, 4-5 केसर के लच्छे, अंदाज से घी।
विधि : सबसे पहले एक कढ़ाई में छोटा 1/2 चम्मच घी गर्म करें। अब धनिया डालकर धीमी आंच पर भूनें। जब धनिए से खुशबू आने लगे तब आंच से उतारकर ठंडा कर लें। अब सभी मेवे भूनकर अलग रखें। धनिया ठंडा होने पर मिक्सी में बारीक बीस लें। अब इसमें पिसी शकर, तले मेवे और पिसी इलायची डालकर अच्छी तरह मिलाएं। केसर से सजाएं। लीजिए तैयार है धनिया-ड्राई फ्रूटस की शाही पंजीरी। अब इस प्रसाद से भगवान को भोग लगाएं।
2. फलाहारी चूरमा
सामग्री : 250 ग्राम सिंघाड़ा आटा, 250 ग्राम राजगिरा आटा, 300 ग्राम गुड़, 50-50 ग्राम गोंद और बादाम बारीक कटी, 1 छोटा चम्मच इलायची पाउडर, 1 खोपरे का गोला कसा हुआ, 1 बड़ा चम्मच घी मोयन हेतु, 150 ग्राम घी तलने के लिए अलग से। डेकोरेशन के लिए- किशमिश, बादाम-काजू और 4-5 चांदी का वर्क।
विधि : राजगिरे और सिंघाडे के आटे को मिलाकर एक बड़ा चम्मच घी का मोयन डालकर ठंडे पानी से आटा गूंथ लीजिए। ध्यान रहें आटा पूरी के आटे जैसा गूंथना है। अब एक कढ़ाई में घी गर्म करें। तैयार आटे के मुठिए बनाकर घी में गुलाबी होने तक धीमी आंच पर तलें। अब मुठिए ठंडे होने के लिए रख दें। ठंडे होने पर उसे मिक्सी में पीस लें। इसे छानें। बचे घी में गोंद के फूले तल लें। अब 100 ग्राम के करीब घी लेकर उसमें गुड़ को धीमी आंच पर गर्म कर लें।
जब गुड़ पूरी तरह घी में मिल जाए, तब उसमें पिसा हुआ मुठिए का मिश्रण मिला लें। फिर उसे परात में लेकर उसमें इलायची, गोंद के फूले, खोपरा बूरा और मेवे की कतरन मिला लें। इस पर चांदी का वर्क लगाएं। लीजिए तैयार है आपका फलाहारी शाही चूरमा। काजू-बादाम और किशमिश से सजा कर नैवेद्य के रूप में भगवान को चढ़ाएं।
3. राजगिरा आटे की फलाहारी पंजीरी
सामग्री : 100 ग्राम राजगिरे का आटा, 150 ग्राम शकर बूरा, 50 ग्राम किशमिश, 100 ग्राम मेवों की कतरन, 1/2 चम्मच पिसी इलायची, 1/4 कटोरी तला व बारीक कूटा हुआ गोंद, कुछेक किशमिश, 150 ग्राम घी।
विधि : राजगिरा आटे की फलाहारी पंजीरी बनाने हेतु सबसे पहले घी गरम कर राजगिरे का आटा डालकर धीमी आंच पर गुलाबी होने तक सेक लें। सिंका आटा थोड़ा ठंडा होने के पश्चात शकर बूरा और इलायची पाउडर मिलाकर मिश्रण को एकसार कर लें। अब उसमें तला गोंद व मेवों की कतरन तथा किशमिश मिक्स कर दें। लीजिए तैयार पंजीरी का भगवान को भोग लगाएं।
विधि : सबसे पहले सिंघाड़े व राजगिरे के आटे को धीमी आंच पर घी डालकर सेंक लें। खुशबू आने लगे तब शकर पीसकर उसमें मिला दें। इलायची, खोपरा, काजू, बादाम भी मिला दें। गरम-गरम ही लड्डू बना लें, नहीं बंधने पर थोड़ा घी और मिलाएं, फिर लड्डू बना लें। अब स्वादिष्ट तथा पौष्टिक सिंघाड़ा आटा के लड्डू का भोग लगाएं।
विधि : सबसे पहले राजगिरा आटे को छान लें। एक कढ़ाई में घी गरम करके आटे को धीमी आंच पर जब तक सेकें, तब तक आटे में से भीनी-भीनी खुशबू न आने लगे। राजगिरे की घी में अच्छी तरह सिकाई होने के बाद उसमें गरम पानी डालें व अच्छी तरह हिलाएं। अब शकर डालें व हिलाती रहें। जब हलवे का मिश्रण कढ़ाई के किनारे छोड़ने लगे तब गैस बंद कर दें। इलायची और मेवे मिलाकर ढंक दें। अब तैयार राजगिरा हलवा से प्रभु को भोग लगाएं।
विधि : मावा-मिश्री बनाने के लिए यदि भैंस का दूध उपयोग किया जाए तो यह मावा मिश्री अच्छा बनता है। सबसे पहले दूध को एक मोटे तल वाले बर्तन में गाढ़ा होने तक उबालें। तत्पश्चात उसमें शकर डालकर अच्छी तरह मिलाएं और पूरी तरह गाढ़ा होने दें। ऊपर से इलायची, मिश्री और मेवा की कतरन डाल दें। अब दूध को ठंडा करके ट्रे में भर दें। इस दूध में जितने अधिक रेशे पड़े वह उतना ही जायकेदार होता है। अब दूध से निर्मित मिठाई मावा-मिश्री से भगवान को भोग लगाएं और घर आए मेहमानों को प्रसाद स्वरूप वितरित करें।