हां, लेकिन आपको उन फैक्टर को समझना चाहिए जिससे इसकी चमक फीकी पड़ती है। जब शेयर की कीमतों में गिरावट आती है तो अधिकांश निवेशक अपने शेयर बेचकर धन को अन्य कहीं सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं।
लेकिन हाल ही में सोने की कीमतों में गिरावट ने अधिकांश लोगों पर अलग तरीके से असर दिखाया है वे सोच रहे हैं कि अंतत: सोना सस्ता हो गया और क्या अब मैं बाहर जाकर इसे खरीद सकता हूं? इसका संक्षिप्त जवाब है : हां, आप कर सकते हैं। लेकिन उन फैक्टर को समझने के बाद जो सोने की कीमतों को प्रभावित करते हैं।
फंडामेंटल्स रूल करेंगे : किसी संपत्ति ने लगातार 12 वर्षों तक ऊंचाई हासिल की हो और इस दौरान कीमतों में आठ गुना वृद्धि हुई हो, हां सोने ने ऐसा किया, अब यह सुधार के लिए खुद को स्थापित कर रहा है। वैश्विक स्वर्ण बाजार में यह सुधार साफतौर पर सट्टेबाजों के हाथ में लगता है, जो इस गिरावट में त्वरित लाभ कमाना चाहते हैं।
लेकिन एक बार झाग बाजार से बाहर निकल जाए, यह कमोडिटी के रूप में सोने का फंडामंटल है, जो लंबी अवधि में सोने की कीमतों को तय करेगा। हम सोचते हैं कि तीन मुख्य फैक्टर हैं जो अगले दो-तीन सालों में वैश्विक स्वर्ण कीमतों को तय करेंगे।
सेंट्रल बैंक की खरीदारी : हाल ही में सोने की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण यूरोपीय सेंट्रल बैंक का संकटग्रस्त होने का भय था, जो नकदी जुटाने के लिए अपने स्वर्ण भंडार को बेच सकती है। सबसे पहले यहां खबर आई थी कि साइप्रस सरकार अपने बेलआउट पैकेज के लिए अपने स्वर्ण भंडार को बेचने की योजना बना रही है।
बाद में यह बात सामने आई कि साइप्रस का स्वर्ण भंडार, 14 टन, वैश्विक बाजार में हलचल मचाने के लिए बहुत कम है। (वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक 4400 टन सोना पिछले साल खरीदा गया) इसके बाद यूरोपीय देशों पुर्तगाल, आयरलैंड, ग्रीस और स्पेन के संकटग्रस्त होने से मंदडि़ए फिर चिंतित हो गए।
इसमें कतई शंका नहीं कि इन चार देशों द्वारा 3100 टन सोना बिक्रय किए जाने से स्वर्ण बाजार में कीमतें तुरंत ऊपर से नीचे गिर जाएंगी। लेकिन यह इस पर बहुत निर्भर है कि बैंक के पास कितना सोना है और वे कितना सोना बेचने की योजना बनाते हैं।
सेंट्रल बैंक इस बात से पूरी तरह वाफिक हैं कि हाजिर बाजार में अधिक मात्रा में सोने की बिक्री किए जाने से इसकी कीमतों में गिरावट आ सकती है। ऐसा इसलिए हुआ था कि जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विकसित देशों ने 1999 से 2009 के बीच अपने स्वर्ण भंडार को कम करने का फैसला लिया तो वे इस बार पर सहमत हुए कि सोना बेचने के लिए वार्षिक कोटा तय होगा।
यदि यूरो जोन के बैंक आज सोना बेचने का निर्णय लेते हैं तो, संभवत: वार्षिक कोटा के अनुसार कई सालों तक उन्हें सोने की बिक्री करनी होगी। लेकिन क्या सारे सोने को खरीदना वाला कोई उन्हें मिलेगा? मिल सकता है। पिछले पांच सालों में, तेल समृद्ध और उभरते देशों के सेंट्रल बैंक अपने विदेश मुद्रा भंडार में विविधता लाने के लिए उत्सुक है, इन देशों में सोने के लिए एक विलक्षण भूख है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल डाटा के मुताबिक पिछले पांच सालों में रूस, चीन, भारत, सऊदी अरब और अन्य देशों ने वैश्विक बाजारों से 9000 टन सोना खरीदा है। यह सोना आईएमएफ और अन्य विकसित देशों द्वारा बेचे गए 3100 टन सोने से खरीदा गया। काउंसिल द्वारा ट्रेक किए गए 125 देशों के सेंट्रल बैंक स्वर्ण भंडार का रुझान बताता है कि पिछले पांच वर्षों में केवल 25 देशों ने अपने स्वर्ण भंडार को कम किया है। बाकी अपने स्वर्ण भंडार को स्थिर रखें हैं या फिर उसे बढ़ा रहे हैं।
ज्वैलरी से बूस्ट : हाल ही में सोने में आई गिरावट का दूसरा कारण है गोल्ल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स या ईटीएफ से बाहर निकलना। यदि निवेशक अधिक मात्रा में इससे बाहर निकलते हैं तो सोने के लिए क्या दृष्टिकोण होगा? खैर, पिछले पांच सालों में सोने की कीमतों तें लगातार तेजी का कारण नए निवेशकों की इसके प्रति भूख थी।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के डाटा से पता चलता है कि निवेश संबंधित सोने की खरीद 2007 से 2012 के बीच दोगुने से भी अधिक हुई है। कीमतें बढऩे के कारण, हालांकि, ज्वैलरी खरीदारों और औद्योगिक उपयोगकर्ताओं ने इसकी खरीद कम कर दी। पिछले पांच सालों में ज्वैलरी खरीद में 22 प्रतिशत और उद्योग संबंधित सोने की खरीद में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अब, सोने की कीमतों में गिरावट आने के साथ यहां काफी संभावना है कि सारी प्रक्रिया उल्टी हो जाएगी।
निवेशक सोने की बिक्री कर अब शेयर में अपना पैसा लगा सकते हैं, लेकिन कुछ माह पहले की तुलना में सोना अब 20 प्रतिशत सस्ता है, भारत जैसे उभरते बाजारों में खरीदारों, जो आगामी त्योहारी सीजन या शादी के लिए सोना खरीदना चाहते हैं, की भीड़ फिर से स्वर्ण दुकानों पर दिखाई देने की पूरी संभावना है।
ज्वैलरी खरीद में दोबारा तेजी ईटीएफ, बार और सिक्कों की रुकी मांग को भी बढ़ा सकती है। पिछले साल, ज्वैलरी खरीदारों ने औसतन 1669 डॉलर प्रति ट्रॉय ओंस की दर से 1900 टन सोना खरीदने पर 103 अरब डॉलर खर्च किए थे। यहां तक की यह मान लिया जाए कि ग्राहकों ने अपने सोना खरीदने के बजट को नहीं बढ़ाया, बावजूद इसके वर्तमान कीमत पर वे 2300 टन सोना खरीदने में सक्षम हैं। यह वार्षिक स्वर्ण मांग का अतिरिक्त 400 टन है और सोने में आई 30 प्रतिशत गिरावट की भरपाई कर सकता है।
आपूर्ति में कटौती के लिए कम कीमत : किसी भी कमोडिटी में निरंतर तेजी आने से सामान्यता उत्पादक इसे और अधिक पैदा करते हैं। इससे अंतत: अधिक आपूर्ति और मूल्य सुधार की स्थिति बनती है। लेकिन सोना इस प्रवृत्ति के लिए अपवाद है। दशक पुरानी प्राइस रैली ने वास्तव में खनन कंपनियों को नई खान शुरू करने के लिए प्रेरित नहीं किया है।
इसके विपरीत, हाल की वर्षों में बढ़ती उत्पादन लागत और श्रमिक समस्या ने छोटे खनिकों के लिए इस काम को लाभदायक बनाए रखना मुश्किल बना दिया है। ऐसा क्यों हुआ, पिछले पांच सालों में जहां सोने की मांग सात प्रतिशत सालाना दर से बढ़ी, वहीं आपूर्ति तीन प्रतिशत से कम रही, इससे कीमतों में वृद्धि आना शुरू हुआ।
एक सीमा के बाद सोने की कीमतों में गिरावट आती है जो वास्तव में आगे सोने की आपूर्ति में कटौती को खत्म करेगा। गोल्ड फील्ड्स मिनरल सर्विसेस द्वारा हाल ही के अनुमानों के मुताबिक 2012 में सोने की एक औंस खुदाई के लिए 1150 डॉलर की लागत आई है, लेकिन अधिकांश दक्षिण अफ्रीकी खदान इससे अधिक उत्पादन लागत पर काम कर रही हैं।
सोने की कीमतें 1300 डॉलर या इससे कम होती हैं, तो यह अनुमान है कि तकरीबन 15 प्रतिशत वैश्विक खदानें अपना काम बंद कर देंगी। यह लागत संरचना, वास्तव में, 1300 डॉलर प्रति औंस हाल ही में सोने की कीमतों में हुए सुधार का एक अच्छा स्तर हो सकता है। यदि कीमतें इस स्तर से नीचे जाती हैं तो इसका सीधा असर इसकी आपूर्ति पर होगा। यह ऐसा स्तर है जहां खुदरा निवेशक खरीद करने के लिए कदम उठा सकते हैं।
नापतौलकर कदम उठाएं: क्या सोना खरीदने के लिए यह सही समय है? आगे बढ़ों, लेकिन अपने दिमाग में निम्न बात का ख्याल रखें : सोना एक निवेश नहीं है। यह पोर्टफोलियो इंश्योरेंस है। सोने में निवेश के लिए मुख्य तर्क यह है कि यह अच्छा तब करता है जब अन्य संपत्तियां ठीक से काम नहीं करतीं।
भारतीयों को हलचल भरे शेयर बाजार और गिरते रुपये के खिलाफ हैज के रूप में सोने में निवेश जरूर करना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह भी है कि आपके पोर्टफोलियो में सोने में निवेश 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। क्या आप अपना पूरा वेतन इंश्योरेंस प्रीमियम में देना चाहेंगे? सोने की बुनियादी बातों के साथ इस साल कम फायदा लेने वाले, अपने निवेश रिटर्न उम्मीदों को उदार रखें। सोना अपने पांच वर्षीय 15 फीसदी रन रेट को दोबारा दोहरा नहीं सकता।
सोना नियमित नकदी प्रवाह प्रदान नहीं करता, सोने की बार खरीद कर रखना इस बात की गारंटी नहीं है कि इससे अधिक रिटर्न मिलेगा। इसका मतलब है कि किसी भी सुधारात्मक चरण में सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि अभी से खरीद शुरू करें, लेकिन अस्थिर कीमतों में लाभ उठाने के लिए चार-पांच किस्तो में इसकी खरीद की जानी चाहिए।
यदि आप सुरक्षा के लिए देख रहे हैं, तो सोना सबसे अच्छा निवेश नहीं है। इसके बजाए आप बैंक डिपॉजिट कराएं, जहां बैंक निश्चित रिटर्न की पेशकश करते हैं। यदि आप ज्वैलरी खरीदने के लिए सोच रहे है तो सबसे अच्छी खरीद तब होगी जब सोना सस्ता हो जैसे अभी। लेकिन ज्वैलरी सोने में निवेश का जरिया नहीं हो सकता, इसके लिए गोल्ड ईटीएफ हैं। मोलतोल.इन