बीमा करवाने का मुख्य उद्देश्य टैक्स बचाना नहीं

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जीवन बीमा का टैक्स प्लानिंग से गहरा नाता देखा गया है। हमें यह बात समझना बहुत जरूरी है कि जीवन बीमा करवाने का होता है। मेरी राय में सरकार की तरफ से 80-सी के तहत मिल रही छूट को जीवन बीमा करवाने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन के रूप में देखना चाहिए, पर दुर्भाग्यवश कुछ जीवन बीमा कंपनियाँ एजेंट्स व खुद बीमाधारक भी जीवन बीमा का इस्तेमाल टैक्स बचाने के मुख्य उद्देश्य से करते हैं।

अगर सिर्फ टैक्स ही बचाना है जो जीवन बीमा से कई बेहतर विकल्प उपलब्ध हैं। ख्याल रहे कि मैं यहाँ जीवन बीमा नहीं कराने की सलाह बिलकुल नहीं दे रहा हूँ, सिर्फ इस बात पर जोर दे रहा हूँ कि गलत उद्देश्य से लिया हुआ जीवन बीमा आपकी वित्तीय सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। जीवन बीमा आपके परिवार की एक ऐसी आवश्यकता है जिसके बारे में विचार सिर्फ फरवरी-मार्च के महीने में नहीं बल्कि किसी भी समय किया जा सकता है।

जीवन बीमा के माध्यम से शेयर बाजार में निवेश करने के लिए लोकप्रिय यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान या यूलिप एक ऐसा निवेश-पत्र है, जिसे शायद कम ही निवेशक व एजेंट्स सही प्रकार से समझ पाए हैं।

80-सी के तहत निर्धारित सभी निवेश पत्रों में यूलिप ही एक ऐसा अभूतपूर्व निवेश पत्र है जहाँ लॉक-इन समय में निवेशक को निवेश का प्रारूप बदलने का अधिकार होता है और वह अपने निवेश की इक्विटी-डेब्ट (ऋण) समीकरण को बदल सकता है।

यूलिप्स लंबी अवधि की योजनाएँ होती हैं और इन्हें लघु अवधि में बंद नहीं करवाना चाहिए। एजेंट्स के बहकावे में आकर हर वर्ष नई यूलिप नहीं खरीदनी चाहिए व पूर्व में खरीदी हुई यूलिप को ही जारी रखना चाहिए।

रेगुलर प्रीमियम के अलावा यूलिप में अतिरिक्त प्रीमियम जमा कराने का 'टॉप-अप' विकल्प का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ख्याल रहे कि मैं यहाँ यूलिप्स की हिमायत नहीं कर रहा हूँ, सिर्फ उनकी खास विशेषता का अलग से उल्लेख ही कर रहा हूँ।

जीवन बीमा को बचत का माध्यम भी कहा जाता है, पर मेरे ख्याल में दोनों उद्देश्यों को एक ही निवेश पत्र में शामिल करने से बेहतर यह होगा कि हम उन्हें अलग-अलग रूप में ही देखें। जीवन बीमा की आवश्यकता को टर्म प्लान से पूरा किया जा सकता है पर निवेश की आवश्यकता को पृथक व उचित निवेश पत्र से ही पूरा किया जा सकता है।

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