इन आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले साल रेलवे में रेलकर्मियों की तो मौत हुई लेकिन पिछले 12 महीनों में किसी भी यात्री की मौत नहीं हुई। वर्ष 2018-19 में रेलवे में अनेक दुर्घटनाओं में 16, वर्ष 2017-2018 में 28 और 2016-2017 में 195 लोगों की मौत हुई थी।
आंकडों के अनुसार, 1990-1995 के बीच प्रति वर्ष औसतन 500 से अधिक दुर्घटनाएं हुईं और इस दौरान 2400 लोगों की मौत हुई और 4300 लोग घायल हुए। इसके बाद 2013-2018 के बीच प्रति वर्ष औसतन 110 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 900 लोग मारे गए और 1500 लोग घायल हो गए।
रेलवे ने कहा कि 2019 में रेल दुर्घटनाओं में किसी भी यात्री की जान नहीं जाने का श्रेय रेलवे द्वारा उठाए गए अनेक कदमों को जाता है। इनमें रखरखाव के लिए मेगा ब्लॉक्स और आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल होना, मानव रहित सभी क्रॉसिंगों को समाप्त करना और इसी प्रकार के अनेक उपाय शामिल हैं।
रेलवे ट्रेन दुर्घटनाओं में टक्कर होना, गाड़ी पटरी से उतरना, आग लगना, क्रांसिंग के दौरान होने वाली दुर्घटनाएं और अन्य दुर्घटनाएं शामिल हैं। जबकि ट्रेन परिचालन के दौरान उसकी चपेट में आने से हुई मौत को रेलवे दुर्घटना नहीं मानता।