चीनी भाषा बनी आशा...

मैनेजमेंट के भारतीय छात्रों के लिए चीनी भाषा में बनी आश

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मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स को यह बात गाँठ से बाँध लेनी चाहिए कि वे केवल भारतीय परिप्रेक्ष्य के लिए ही अपने आपको नहीं ढाल रहे हैं। उनका प्ले-ग्राउंड तो इंटरनेशनल मार्केट है, जहाँ वे अपनी योग्यता के बल पर धूम मचा सकते हैं।

यदि भारतीय मैनेजमेंट स्टूडेंट्स को कॉम्पिटीशन में सबसे आगे रहना है तो उन्हें प्रत्येक देश की संस्कृति यानी कि कल्चर को सीखना होगा। आज के एमबीए को समझ लेना चाहिए कि सारा विश्व एक ग्राम के रूप में सिमट गया है तथा इस ग्लोबल विलेज में वही चल पाएगा, जो सारी दुनिया के तौर- तरीकों को जान पाएगा।

चीन ही क्यों?
ग्लोबल विलेज के इस वातावरण में मैनेजमेंट के इंडियन स्टूडेंट्स के लिए चीनी भाषा वरदान बनकर सामने आई है। क्योंकि इसमें इतना पोटेंशियल है कि वह भारतीय प्रबंधकों के लिए चीन में करियर निर्माण के दरवाजे खोल सकती है। इन दिनों चीन में अमेरिकी एक्जीक्यूटिव्स ने डेरा डाल रखा है।

यदि इंडियन स्टूडेंट्स चाहें तो वे उन्हें चीन से रुखसत कर उनकी सीट पर खुद काबिज हो सकते हैं। क्योंकि अमेरिकी एक्जीक्यूटिव्ज में इतना पेशंस नहीं है कि वे ज्यादा समय तक चीन में टिक पाएँ। उनमें इतना एटिकेट्स भी नहीं है कि वे अपने आपको चीनी कल्चर के अनुरूप ढाल सकें, लेकिन भारतीयों के लिए यह सब करना बहुत ही आसान है, क्योंकि चीन का कल्चर भारत के बौद्ध धर्म से ही विकसित हुआ है।

पहुँचाएँगे दीर्घकालीन फायदे
मैनेजमेंट के बंदों को चीनी सीखने से जो फायदे होंगे, वे उन्हें दीर्घकालीन फायदे पहुँचाएँगे, क्योंकि जिस तरह से उपभोक्ता बाजार में चीन सारी दुनिया का बैंड बजा रहा है, उससे तो यह तय है कि आने वाले दिनों में कंजूमर मार्केट में चीन ही सबसे आगे होगा और उसे दुनियाभर में अपने बिजनेस मैनेजमेंट के लिए बंदों की आवश्यकता होगी जो अँगरेजी के साथ-साथ चीनी भाषा का ज्ञान भी रखते हों।

इस लिहाज से भारतीय एमबीए सबसे ज्यादा उपयुक्त दिखाई देते हैं, क्योंकि उनके अँगरेजी ज्ञान का लोहा सारी दुनिया मानती है। और रही बात उनके परिश्रम और काम करने की प्रवृत्ति की तो भारतीय युवा विषम परिस्थितियों में भी रात-दिन काम करने के लिए मशहूर हैं, इसलिए भारतीय मैनेजर्स के लिए चीनी भाषा का ज्ञान सोने पर सुहागे की तरह लाभकारी होगा।

वाकई ग्रेट है ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट !
चेन्नई स्थित ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ने इस आवश्यकता को अच्छी तरह समझा है तथा भारत के टॉप मैनेजमेंट में शुमार होने वाले इस संस्थान का बोध वाक्य है 'ग्लोबल माइंडसेट', इंडियन रूट्स।'

यह देश का एकमात्र मैनेजमेंट स्कूल है, जहाँ चीनी भाषा सीखना अनिवार्य है, क्योंकि इसके संस्थापकों का मानना है कि स्टूडेंट्स चीनी भाषा सीखकर कंजूमर मार्केट में चीन के साथ-साथ अपना वर्चस्व भी आसानी से स्थापित कर सकते हैं।

यह तो तय है कि हर कोई मैनेजमेंट स्टूडेंट अपना इंस्टीट्यूट छोड़कर ग्रेट लेक्स नहीं जा सकता, लेकिन भारत में इग्नू सहित कई संस्थानों में चीनी भाषा सिखाई जाती है, जिसे पार्ट टाइम या डिस्टेंस लर्निंग द्वारा सीखकर मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स पक्के मैनेजमेंट गुरु बन सकते हैं।