मित्रता अनमोल है, जानिए क्या कहते हैं विद्वान

मित्रता, दोस्ती, फ्रेंडशिप, हर किसी को यह रिश्ता प्रिय होता है। आइए जाने कि देश-विदेश के साहित्यकारों और चिंतकों ने इसे कैसे परिभाषित किया है। 


 
 
 * प्रकृति पशुओं तक को अपने मित्र पहचानने की समझ देती है। -कॉर्नील 
 
* मित्रों के बिना कोई भी जीना पसंद नहीं करेगा, चाहे उसके पास बाकी सब अच्छी चीजें क्यों न हो। -अरस्तू

* जो तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ देता है, बस वही मित्र है। -तिरुवल्लुवर 

* मैत्री परिस्थितियों का विचार नहीं करती, अगर यह विचार बना रहे तो समझ लो मैत्री नहीं है। -मुंशी प्रेमचंद 
 
* दुनिया की किसी चीज का आनंद परिपूर्ण नहीं होता, जब तक कि वह किसी मित्र के साथ न लिया जाए। -लैटिन 

* विवेकी मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है। -यूरीपिडीज 
 
* नेक सबके प्रति रहो, मित्र सर्वोत्तम को ही बनाओ। -इसोक्रेटस 
* मित्र दुःख में राहत है, कठिनाई में पथ-प्रदर्शक है, जीवन की खुशी है, जमीन का खजाना है, मनुष्य के रूप में नेक फरिश्ता है। -जोसेफ हॉल 
 
* जो छिद्रान्वेषण किया करता है और मित्रता टूट जाने के भय से सावधानी बरतता है, वह मित्र नहीं है। -गौतम बुद्ध 

* मित्रता दो तत्वों से बनी है, एक सच्चाई और दूसरा कोमलता। -एमर्सन 
* मित्रता की परीक्षा विपत्ति में दी गई मदद से होती है और वह मदद बिना शर्त होनी चाहिए। -महात्मा गाँधी 

* सच्ची मित्रता में उत्तम से उत्तम वैद्य की सी निपुणता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता का सा धैर्य और कोमलता होती है, ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न प्रत्येक को करना चाहिए। -रामचंद्र शुक्ल 
* जीवन में मित्रता से बढ़कर सुख नहीं। -जॉन्सन

वेबदुनिया पर पढ़ें