अन्ना और केजरीवाल के अलग रास्ते

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प्रश्न : दद्दू, अन्ना और केजरीवाल के रास्ते इतनी जल्दी अलग कैसे हो गए? क्या उन्हें कोई नया विश्वस्थ साथी मिलेगा?

उत्तर : इन दोनों के बीच कोई सत्ताधारी और क्षेत्रीय पार्टी जैसा गठबंधन तो था नहीं, जिसे तरह-तरह के जगजाहिर तरीकों से पूरे पांच वर्षों तक खींचा जा सकें। नए साथी का मिलना कठिन लगता है, क्योंकि वे स.प्र.ग. की तरह सत्ता में तो हैं नहीं जिसके पास ममता जी द्वारा समर्थन वापसी की घोषणा के बाद मौके का फायदा उठाने के लिए नए साथी एक पैर पर तैयार खड़े हों।

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