उत्तर : देखिए जिस दिन इंसान दूसरों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयत्नरत होगा, उस दिन उसके कर्तव्यों का निर्वहन स्वत: ही होने लगेगा। इसका अर्थ यही है कि कर्तव्यों और अधिकारों के बीच का फासला अत्यंत महीन हैं। यूं मान लीजिए कि दोनों पीठ से पीठ सटाकर खड़े हैं। बस 180 डिग्री पलट कर अपने अधिकारों के स्थान पर दूसरों के अधिकारों के लिए ल़ड़िए। दूसरों के साथ आपको अपने अधिकार भी मिल जाएंगे।