दास्‍ताँ-ए-फेसबुक - 'द सोशल नेटवर्क'

आपने कि‍सी खास शख्सि‍यत, उपन्‍यास, घटना या कि‍सी पौराणि‍क कथा पर आधारि‍त फि‍ल्‍में में तो बहुत देखी होंगी। लेकि‍न कि‍सी सोशल नेटवर्किंग साइट की कहानी पर आधारि‍त फि‍ल्‍म के बारे में शायद ही पहले कि‍सी ने सोचा होगा। 'द सोशल नेटवर्क' एक ऐसी हॉलीवुड फि‍ल्‍म है जो एक बेहद पापुलर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट 'फेसबुक' के आइडि‍या से लेकर उसके बनने और पापुलर होने की सच्‍ची (?) कहानी को बयाँ करती है।

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6 साल में दुनि‍या भर में फैले 50 करोड़ लोगों को अपनी साइट से कनेक्‍ट करना और ना सि‍र्फ कनेक्‍ट करना बल्‍कि‍ इसे उनकी जिंदगी का अहम हि‍स्‍सा बनाना, यह वाकई अपने आप में रोमांचि‍त कर देने वाली बात है और इसे मुमकि‍न कर दि‍खाया फेसबुक के कर्ताधर्ता 'मार्क जुकेरबर्ग' ने। लेकि‍न कैसे? यही सार है इस फि‍ल्‍म का।

कि‍सी सफल कृति‍ की कहानी में वि‍वादों के पेंच तो होते ही हैं तो वो इस फि‍ल्‍म में भी हैं। 26 वर्षीय मार्क जुकेरबर्ग ने फरवरी 2004 में जब फेसबुक बनाई तो उनके दो सहपाठि‍यों टायलर और कैमरॉन विंकलेवोस ने उस पर वेबसाइट बनाने का आइडि‍या चुराने का आरोप लगाया।

इन दोनों जुड़वाँ भाइयों का कहना है कि‍ जब उनके दि‍माग में यू-कनेक्‍ट नाम की सोशल नेटवर्किंग साइट बनाने का आइडि‍या आया तो उन्‍होंने मार्क को इस काम में अपनी मदद के लि‍ए बुलाया था लेकि‍न मार्क ने न सि‍र्फ उनका आइडि‍या चुराया बल्‍कि‍ खुद की वेबसाइट भी लॉन्‍च कर दी।

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जब बात अदालत में पहुँची तो 2008 में 65 मि‍लि‍यन डॉलर की मुआवजा राशि‍ पर मामला नि‍पट गया। लेकि‍न अब टायलर और कैमरॉन ने फि‍र से यह आरोप लगाया है कि‍ कंपनी ने उन्‍हें धोखे में रखा।

सच्‍चाई जो भी हो लेकि‍न यह मामला जि‍स तरह से तूल पकड़ रहा है उससे लगता है कि‍ फेसबुक रील लाइफ के साथ-साथ रीयल लाइफ की भी सुर्खी बनेगी। क्‍योंकि‍ फेसबुक बनाकर आज मार्क जुकेरबर्ग सबसे कम उम्र के अरबपति‍ बन चुके हैं और ये बात उनके दोस्‍तों को कहीं ना कहीं नागवार तो गुजरी होगी और अब वे फेसबुक की कमाई में मोटा हि‍स्‍सा चाहते हैं। इस फि‍ल्‍म के टेलर देखने से आपको ऐसा लग सकता है कि‍ फेसबुक एक झूठ, फरेब और धोखे की पैदाइश है।

बहरहाल पर्दे पर मार्क जुकेरबर्ग की भूमि‍का में जेसी ईसेनबर्ग हैं जो संभवत: पहली बार कि‍सी फि‍ल्‍म में लीड रोल में हैं। विंकलेवोस बंधुओं की भूमि‍का में हैं आर्मी हैमर और जोश पेंस। फि‍ल्‍म के नि‍र्देशक डेवि‍ड फिंचर हैं और लेखक हैं एरोन सोरकि‍न।

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फि‍ल्‍म पर प्रति‍क्रि‍याओं के बारे में बात करें तो फेसबुक के फाउंडर मार्क ने इसे कोरी कल्‍पना बताया जबकि‍ उनके सहयोगी ईलि‍यट श्रेज और शेर्ली शेरबर्ग ने इसे एक बहुत ही बुरी फि‍ल्‍म कहा है। हालाँकि‍ फि‍ल्‍म कुछ तथ्‍यों और सच्‍चाइयों पर आधारि‍त है लेकि‍न जानकारों के मुताबि‍क फि‍ल्‍म में उन्‍हें बढ़ाचढ़ाकर पेश कि‍या है।

उम्‍मीद है कि‍ फेसबुक के यूजर्स को उनकी फेसबुक की कहानी जानने में दि‍लचस्‍पी तो जरूर होगी। लेकि‍न फेसबुक का ये असली चेहरा कि‍तनों को पसंद आता है ये तो वक्त ही बताएगा।

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