morya meaning in hindi: गणपति बाप्पा के जयकारे के बिना किसी भी पूजा या उत्सव की कल्पना अधूरी है। जब भी गणेश चतुर्थी का पर्व आता है, तो हर गली, हर मोहल्ले और हर घर में "गणपति बाप्पा मोरया" की गूंज सुनाई देती है। यह सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और अपार प्रेम की अभिव्यक्ति है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि "मोरया" शब्द का असली अर्थ क्या है? क्यों हर भक्त "गणपति बाप्पा मोरया" ही बोलता है और इसके पीछे कौन-सी आस्था और परंपरा जुड़ी हुई है? यही सवाल हर भक्त के मन में उठता है और आज हम इसी रहस्य पर विस्तार से बात करेंगे।
भक्ति की अनोखी पुकार
"गणपति बाप्पा मोरया" का उच्चारण भक्त और भगवान के बीच एक अनोखा संवाद है। इसमें "गणपति बाप्पा" शब्द से भगवान गणेश को स्नेहपूर्वक पुकारा जाता है, जबकि "मोरया" भक्त की गहरी आस्था और अपनापन दर्शाता है। यह पुकार भक्त के हृदय की उस भावना को व्यक्त करती है, जिसमें वह भगवान गणेश को अपने घर के सदस्य की तरह मानता है। यही कारण है कि हर भक्त इस जयकारे को बड़ी श्रद्धा और प्रेम से लगाता है।
'मोरया' का अर्थ क्या है?
"मोरया" शब्द को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार "मोरया" का संबंध मोरया गोसावी से है, जो 14वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के प्रसिद्ध गणेश भक्त थे। उनकी भक्ति और साधना से प्रभावित होकर लोग भगवान गणेश के नाम के साथ "मोरया" शब्द जोड़ने लगे। यह न केवल भगवान के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बना बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच गहरे संबंध को भी दर्शाने लगा।
दूसरी मान्यता के अनुसार "मोरया" शब्द का अर्थ है "जल्दी आओ" या "जल्दी पधारो"। जब भक्त "गणपति बाप्पा मोरया" कहते हैं तो वे भगवान को अपने जीवन में बार-बार आने का आमंत्रण देते हैं। यानी यह पुकार भगवान को बुलाने और उन्हें अपने हृदय में विराजमान करने का भाव है।
जब भक्तगण "गणपति बाप्पा मोरया" बोलते हैं, तो उसमें केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि अपनापन, प्रेम और विश्वास भी झलकता है। यह शब्द भक्तों को यह अहसास कराता है कि गणेशजी केवल पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य और मित्र भी हैं। यही कारण है कि इस जयकारे में एक आत्मीयता और सहजता है, जो हर किसी को जुड़ाव का अनुभव कराती है।
गणेश उत्सव और "मोरया" की गूंज
गणेश चतुर्थी और गणेश उत्सव में "गणपति बाप्पा मोरया" का जयकारा पूरे वातावरण को पवित्र बना देता है। मूर्ति स्थापना से लेकर विसर्जन तक हर क्षण में यह नारा गूंजता है। विशेष रूप से विसर्जन के समय भक्त भावुक होकर "गणपति बाप्पा मोरया, पुडचा वर्षी लवकर या" यानी "गणपति बाप्पा मोरया, अगले साल जल्दी आना" कहते हैं। इसमें विदाई का दुख भी होता है और अगले वर्ष फिर से मिलने की आशा भी। यही भावना इस जयकारे को और भी जीवंत बना देती है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।