एक बार कार्तिकेय व गणेशजी में होड़ लगी कि सबसे बुद्धिमान कौन? तब भगवान भोलेनाथ जी ने कहा जो पृथ्वी के सात चक्कर लगाकर सबसे पहले लौट कर आएगा वह बुद्धिमान व प्रथम पूजनीय होगा।
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गणेशजी भारी भरकम थे। वाहन भी चूहा व कार्तिकेय उत्तम वजन के थे और उनका वाहन मोर। स्वामी कार्तिकेय चल पडे़। गणेशजी सोचने लगे। गणेशजी ने सोचा माता-पिता ही जन्मदाता है तो सबसे महान वही हुए। उन्हीं के सात चक्कर लगा लिए और खडे़ हो गए।
कार्तिकेय भी आ पहुंचे। जब निर्णय की बारी आई तो भगवान आशुतोषजी ने कहा कि गणेश बुद्धिमान व श्रेष्ठ हैं, क्योंकि माता-पिता ही समस्त तीर्थों से बडे़ होते हैं।
तभी से भगवान गणेशजी को सब देवताओं से पहले पूजा जाता है एवं हर मागंलिक कार्य में श्रीगणेश जी का ही पूजन स्मरण व स्थापना की जाती है।
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इससे हमें सीख मिलती है कि जो अपने माता-पिता की सेवा करता है, उन्हें सब तीर्थों का फल मिल जाता है। फिर वह तीर्थयात्रा करें या ना करें।