भद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। परंपरा से यह प्रचलित है कि इस दिन चंद्र या चांद को नहीं देखना चाहिए। आखिर क्यों नहीं देखना चाहिए, जानिए।
क्यों नहीं करते हैं चंद्र दर्शन : पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब देवताओं द्वारा पृथ्वी परिक्रमा की प्रतियोगिता हुई तो कार्तिकेय सहित सभी देवता परिक्रमा पर निकल गए परंतु गणेशजी द्वारा माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण वे अग्रपूज्य हुए। सभी देवताओं ने उनकी स्तुति और प्रार्थना की परंतु चंद्रदेव ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि उन्हें अपनी शक्ति और सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि इसमें अहंकार आ गया है तो क्रोध में आकर गणेशजी ने उन्हें श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। यह सुनकर चंद्रमा को अपनी भूल आ अहसास हुआ। तब उन्होंने गणेशजी की स्तुति करके उन्हें मनाया तो उन्होंने कहा कि सूर्य के प्रकाश से तुम्हें धीरे-धीरे अपना स्वरूप पुनः प्राप्त हो जाएगा, लेकिन आज (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) का यह दिन तुम्हें दंड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। जो कोई व्यक्ति आज तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर चोरी का झूठा आरोप लगेगा।
श्रीकृष्ण ने किया था चंद्र दर्शन : कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने चंद्र का दर्शन कर लिया था जिसके चलते उन पर राजा सत्राजित ने उनकी स्यमन्तक मणि चुराने का अरोप लगा दिया था। फिर इस आरोप से मुक्त होने के लिए नारदजी ने श्रीकृष्ण को भगवान गणेशजी की पूजा का विधान बताया और तब उन्होंने उस आरोप से मुक्ति पाई। इस आरोप के चलते श्रीकृष्ण को उनकी मणि ढूंढकर उन्हें देना पड़ी थी।
यदि देख लिया है चंद्र तो क्या करें?
यदि आपने गलती से इस दिन चंद्र के दर्शन कर लिए हैं तो आप आरोप से बचने के लिए गणेश जी का ये मंत्र पढ़े। आरोप लग गया है तब भी यह मंत्र पढ़ें जिसको पढ़ने से चंद्र दर्शन का दोष नहीं लगता है।