1. चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है। चतुर्थी खला तिथि हैं। तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। अतः इसमें शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। इससे व्रत का ही फल मिलता है। हालांकि यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के 'रिक्ता' होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है।
2. इस दिन प्याज, लहसुन, शराब और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. भगवान गणेश के इस पवित्र दिन पर शारीरिक संबंध बनाना वर्जित माना जाता है।