इसी कथा में यह भी वर्णित है कि श्री गणपति जी के शरीर का तापमान ना बढ़े इसलिए वेद व्यास जी ने उनके शरीर पर सुगंधित सौंधी माटी का लेप किया। यह लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई। माटी झरने भी लगी। तब उन्हें शीतल सरोवर में ले जाकर पानी में उतारा। इस बीच वेदव्यास जी ने 10 दिनों तक श्री गणेश को मनपसंद आहार अर्पित किए तभी से प्रतीकात्मक रूप से श्री गणेश प्रतिमा का स्थापन और विसर्जन किया जाता है और 10 दिनों तक उन्हें सुस्वादु आहार चढ़ाने की भी प्रथा है।
इसलिए प्रतीकात्मक स्वरूप श्री गणेश की माटी की प्रतिमा को स्थापित कर उन्हें 10 दिनों तक खास प्रसाद चढ़ाकर उस समय का स्मरण और सम्मान किया जाता है....और शीतल सरोवर में जिस तरह वेदव्यास जी ने उन्हें राहत दिलाई थी वही दोहरा कर श्री गणेश को पुन: उनके दिव्य धाम के लिए विदा किया जाता है....मान्यता है कि10दिन श्री गणेश धरती पर आते हैं और भक्तों की कामना पूरी करते हैं....