गणेशजी के दो पुत्र शुभ और लाभ : भगवान शिव के पुत्र गणेशजी का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं से हुआ था। सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है। गणेश पुराण के अनुसार शुभ और लाभ को केशं एवं लाभ नामों से भी जाना जाता है। रिद्धि शब्द का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे का हिंदी में शुभ कहते हैं। ठीक इसी तरह सिद्धी इस शब्द का अर्थ होता है 'आध्यात्मिक शक्ति' की पूर्णता यानी 'लाभ'।
द्वार पर : गणेशजी के पुत्रों के नाम हम 'स्वास्तिक' के दाएं-बाएं लिखते हैं। घर के मुख्य दरवाजे पर हम 'स्वास्तिक' मुख्य द्वार के ऊपर मध्य में और शुभ और लाभ बायीं तरफ लिखते हैं। स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं। घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि हमारे घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे। लाभ लिखने का भाव यह है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय और धन हमेशा बढ़ता रहे, लाभ होता रहे।
घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक, शुभ और लाभ इन्हीं शक्तियों के प्रतीक हैं:-
गणेश (बुद्धि) + रिद्धि (ज्ञान) = शुभ।