गंगा दशहरा के 10 शुभ दान (10 Daan) : गंगा दशहरे के दिन श्रद्धालुजन जिस भी वस्तु का दान करें, उनकी संख्या 10 होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए, ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। दक्षिणा भी 10 ब्राह्मणों को देनी चाहिए। 10 दान : जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन व सुहाग सामग्री, घी, नमक, तेल, शकर और स्वर्ण।
गंगाजल के 5 प्रयोग (5 Uses of Gangajal) :
1. गंगा स्नान : गंगाजल में स्नान करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है।
2. गंगाजल का छिड़काव : गंगा के जल को घर में सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है। किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी या किसी स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगा जल का प्रयोग किया जाता है।
3. गंगाजल का सेवन : गंगा का पानी पीने से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं। शिवजी की जटाओं से निकलने के कारण इसके जल को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसका आचमन करना बहुत ही महत्व रखता है। इससे हृदय शुद्ध होता है। कहते हैं कि किसी के प्राण नहीं छूट रहे हैं और वह तड़फ रहा है तो उसके मुंड में गंगा जल डालने से वह शांति से देह छोड़ देता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।
5. दूसरे जल को शुद्ध करना : गंगा का जल किसी अन्य जल में डाल देने से वह जल भी शुद्ध होकर गंगा के समान हो जाता है, क्योंकि बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद रहता है जो पानी को शुद्ध कर देते हैं।