आज से चार दिन बाद भारत के सबसे बड़े चुनावी मुकाबले में सबसे ज्यादा सवाल यह पूछा जा रहा है कि दूसरे स्थान पर कौन रहेगा? कांग्रेस के अजय राय केजरीवाल को तीसरे स्थान पर धकेलने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं, जबकि केजरवाल अभी भी दूसरे स्थान पर बने हुए हैं। केजरीवाल के पक्ष में दो बातें रही हैं, पहली तो यह कि वे मोदी के खिलाफ सबसे पहले सक्रिय हुए और दूसरी बात, उनकी नई किस्म की राजनीति जो कि युवाओं को आकर्षित कर रही है।
हालांकि इस 'बड़े मुकाबले' के लिए तीनों ही प्रमुख पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। गुलाम नबी आजाद से लेकर कई अन्य बड़े कांग्रेस नेता काशी में डेरा जमाए हैं, वहीं भाजपा भी पूरी ताकत से मैदान में डटी हुई है। आज का धरना और मोदी की रैली को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी के ज्यादातर नेता तो यहां काफी पहले से ही मोर्चा संभाले हुए हैं।
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आम आदमी पार्टी (आप) कार्यकर्ता लोगों के दरवाजे-दरवाजे जाकर बनारसी शैली में लोगों से वोटों की मनुहार कर रहे हैं। कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को समझा रही है कि बाहरी आदमी को वोट देने के क्या नुकसान हैं। अंतिम दो दिन निर्णायक साबित हो सकते हैं क्योंकि इस बीच मुस्लिम धर्मगुरु अजय राय के पक्ष में कोई फतवा जारी कर सकते हैं। कांग्रेस और अजय राय की निराशा समझना सरल है क्योंकि उनका नाम तीन सप्ताह की रस्सा कशी के बाद तय किया गया था। इतना ही नहीं, उनका अपना समुदाय भूमिहार वोटर भी उनसे खफा हैं। डेढ़ लाख भूमिहार इस बात से नाराज हैं कि उन्हें मुख्तार अंसारी का समर्थन मिला हुआ है, जबकि भूमिहार अंसारी की हिंसा और गुंडागर्दी से त्रस्त हैं।
इसके अलावा अंसारी, अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय और उनके चचेरे भाई कृष्णानंद राय की हत्या के मामले का प्रमुख आरोपी है। कहा जाता है कि अंसारी गैंग के साथ दुश्मनी में भूमिहारों के एक हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। एक बुजुर्ग भूमिहार नेता का कहना है कि अंसारी से समर्थन लेने के लिए राय को माफ नहीं किया जा सकता। कृष्णानंद की पत्नी भाजपा विधायक हैं और वे अजय के खिलाफ प्रचार कर रही हैं।
हालांकि अजय यह सफाई दे रहे हैं कि अंसारी से उन्होंने कोई समर्थन नहीं मांगा है वरन वे जबरन उन्हें समर्थन दे रहे हैं और यह हाईकमान का फैसला है। अजय राय का कहना है कि भूमिहारों की हत्याओं के जो मामले अंसारी पर चल रहे हैं, वे कानून के अनुसार चलते रहेंगे।
भूमिहारों का समर्थन ना मिलने के बाद कांग्रेस अब मुस्लिम धर्मगुरुओं, नेताओं को अपने पक्ष में करने के लिए बेचैन है। देवबंद के एक मौलाना का कहना है कि वे बनारस में इसलिए डेरा डाले हुए हैं क्योंकि उन्हें अपने समुदाय को इस बात के लिए आश्वस्त कराने की जरूरत है कि केजरीवाल को वोट देने का कोई फायदा नहीं है। मेट्रो इंडिया से बात करते हुए अजय राय ने खुद को बनारस का भूमिपुत्र बताते हुए कहा है कि वे अपने जन्म स्थान के लिए संघर्ष करते रहे हैं और करते रहेंगे। मुस्लिम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मोदी की जीत से बनारस का सामाजिक तानाबाना नष्ट हो जाएगा।
बनारस चुनाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य...पढ़ें अगले पेज पर...
चुनाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य...
* बनारस में भूमिहार वोटरों की संख्या करीब डेढ़ लाख है और अजय राय इसी समुदाय से आते हैं, लेकिन मुख्तार अंसारी के समर्थन के बाद वे खिसकते दिखाई दे रहे हैं। मुख्तार माफिया डॉन हैं और अभी जेल में बंद हैं।
* मुस्लिम मतदाताओं की संख्या यहां करीब 3 लाख है। ये वोट किसको मिलेंगे यह अभी तय नहीं है। कांग्रेस अपनी पक्ष में फतवा जारी करवाने की कोशिश में है, वहीं मुस्लिम वोटरों पर केजरीवाल का असर भी है।
* मुस्लिम मतदाता अजय राय से इसलिए बिदके हुए हैं क्योंकि वे पहले भाजपा में रह चुके हैं।
* अजय राय की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे स्थानीय प्रत्याशी हैं और बनारस की राजनीति में 20 से ज्यादा वर्षों से सक्रिय हैं, जबकि मोदी और केजरीवाल दोनों ही बाहरी हैं।