इसराइल ने ईरान पर फिर किया बड़ा हमला, 200 विमानों से 100 ठिकाने किए तबाह, कई ईरानी टॉप कमांडर मारे गए

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 14 जून 2025 (00:36 IST)
Israel-Iran war : इसराइल ने शुक्रवार को ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे पर युद्धक विमानों और तस्करी करके लाए गए ड्रोनों से भीषण हमले किए ताकि प्रमुख प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा सके और शीर्ष जनरलों एवं वैज्ञानिकों को मारा जा सके। इसराइली सेना ने कहा कि ईरान के लगभग 100 ठिकानों पर शुरुआती हमले में लगभग 200 विमान शामिल थे। मारे गए लोगों में ईरान के तीन शीर्ष सैन्य नेता, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी, अर्द्धसैनिक बल ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और गार्ड के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के संचालक जनरल अमीर अली हाजीजादेह शामिल हैं।
 
इसराइल ने कहा कि यह हमला उसके प्रतिद्वंद्वी के परमाणु हथियार बनाने के और करीब पहुंचने से पहले जरूरी था। इन हमलों से पश्चिम एशिया के दो धुर विरोधी देशों के बीच व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ गई है। ईरान ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए इसराइल पर ड्रोन हमले किए। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हमले के बाद कहा कि इसराइल को कड़ी सजा दी जाएगी। एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र के परमाणु नियामक ने ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए निर्धारित दायित्वों का पालन न करने के लिए फटकार लगाई थी।
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इसराइल लंबे समय से इस तरह के हमले की धमकी देता रहा है तथा अमेरिकी प्रशासन इसे रोकने का प्रयास करता रहा है, क्योंकि उसे डर है कि इससे पश्चिम एशिया में व्यापक संघर्ष भड़क जाएगा तथा संभवतः ईरान के बिखरे हुए तथा मजबूत परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने में यह अप्रभावी होगा लेकिन हमास के सात अक्टूबर, 2023 के हमले और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव से उत्पन्न घटनाक्रम के कारण ऐसी स्थितियां बनीं जिससे इसराइल को अंततः अपनी धमकियों पर अमल करने का मौका मिल गया।
 
अमेरिका और इसराइल के अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इसराइल ने ट्रंप प्रशासन को बताया था कि बड़े पैमाने पर हमले होने वाले हैं। बुधवार को अमेरिका ने इराक की राजधानी से कुछ अमेरिकी राजनयिकों को वापस बुला लिया तथा पश्चिम एशिया में मौजूद अमेरिकी सैनिकों के परिवारों के लिए स्वैच्छिक निकासी की पेशकश की। दो अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को अमेरिका ने क्षेत्र में जहाजों सहित सैन्य संसाधनों को स्थानांतरित करना शुरू कर दिया, क्योंकि इसराइल और मजबूत जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
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क्षेत्र के देशों ने इसराइल के हमले की निंदा की और दुनियाभर के नेताओं ने दोनों पक्षों से तत्काल तनाव कम करने का आह्वान किया। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की। परिषद को लिखे पत्र में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अपने अधिकारियों और वैज्ञानिकों की हत्या को सरकार का आतंकवाद कहा और अपने देश के आत्मरक्षा के अधिकार की पुष्टि की। उन्होंने कहा, इसराइल को इस लापरवाहीपूर्ण आक्रामकता और अपनी गंभीर रणनीतिक गलतफहमियों पर गहरा अफसोस होगा।
 
इसराइली सेना ने कहा कि ईरान के लगभग 100 ठिकानों पर शुरुआती हमले में लगभग 200 विमान शामिल थे। दो सुरक्षा अधिकारियों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि देश (इसराइल) की जासूसी एजेंसी मोसाद ईरान के अंदर समय से पहले विस्फोटक ड्रोन तैनात करने और फिर उन्हें तेहरान के पास ईरानी बेस पर मिसाइल लॉन्चर को निशाना बनाने के लिए सक्रिय करने में भी सक्षम रही।
 
अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर इस बेहद गोपनीय मिशन के बारे में बात की हालांकि उनके दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना संभव नहीं हो सका। कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। इसराइली हमले के लक्ष्यों में कई स्थान शामिल थे, जिनमें नतांज में ईरान की मुख्य परमाणु संवर्धन सुविधा भी शामिल थी, जहां से काला धुआं उठता देखा जा सकता था।
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ईरान में भूमिगत फोर्डो परमाणु संवर्धन स्थल के पास दो विस्फोट की आवाज सुनी गई। ईरान सरकार से जुड़े एक समाचार संस्थान ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के करीबी ‘नूर न्यूज’ ने अपने ‘टेलीग्राम’ चैनल पर बताया कि फोर्डो स्थल के पास के इलाके से दो विस्फोट की आवाज सुनी गई। यह सुविधा जमीन के सैकड़ों मीटर नीचे है।
 
इसके अलावा, ईरान की आधिकारिक आईआरएनए समाचार एजेंसी ने बताया कि पूर्वी अजरबैजान प्रांत के एक अधिकारी के अनुसार, तबरीज के पास एक रडार स्थल पर हमला हुआ। माजिद फार्शी ने आईआरएनए को बताया कि पूर्वी अजरबैजान प्रांत में 11 सैन्य स्थलों पर हमला हुआ है और 18 लोग मारे गए हैं, जिनमें ‘रेड क्रिसेंट’ का एक सहायताकर्मी भी शामिल है।
 
इसराइल ने कहा कि उसने पश्चिमी ईरान में दर्जनों रडार प्रतिष्ठानों और सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल लॉन्चरों को भी नष्ट कर दिया है। इसराइली सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने कहा कि नतांज सुविधा को काफी नुकसान पहुंचा है और अभियान अभी शुरुआती चरण में है।
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मारे गए लोगों में ईरान के तीन शीर्ष सैन्य नेता, सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी, अर्द्धसैनिक बल ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और गार्ड के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के संचालक जनरल अमीर अली हाजीजादेह, शामिल हैं।
 
ईरान ने तीनों मौतों की पुष्टि की है, जो तेहरान की शासकीय तंत्र के लिए एक बड़ा झटका है और इससे इसराइल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के प्रयास जटिल हो जाएंगे। खामेनेई ने कहा कि अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक भी मारे गए।
 
अपनी पहली प्रतिक्रिया में, ईरान ने इसराइल पर 100 से ज़्यादा ड्रोन दागे। इराक और जॉर्डन दोनों ने पुष्टि की कि वे उनके हवाई क्षेत्र से होकर गुजरे थे। इसराइल ने कहा कि ड्रोन को उसके हवाई क्षेत्र के बाहर ही मार गिराया जा रहा था और यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो सका कि कोई ड्रोन उसके हवाई क्षेत्र में घुसा या नहीं। इसराइल की सेना ने कहा कि उसने रिजर्व बलों को बुला लिया है और पूरे देश में सभी युद्ध क्षेत्रों में सैनिकों को तैनात करना शुरू कर दिया है, क्योंकि वह अपनी सीमा पर ईरान या ईरानी छद्म समूहों के आगे के जवाबी हमले के लिए तैयार है।
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हमलों के बारे में अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से अपने परमाणु कार्यक्रम पर वाशिंगटन के साथ समझौता करने का फिर से आग्रह किया, तथा अपने ‘ट्रुथ सोशल’ मंच पर चेतावनी दी कि इसराइल के हमले और भीषण होंगे।
 
ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि अब भी समय है कि इस नरसंहार को रोका जाए, क्योंकि पहले से योजनाबद्ध आगामी हमले और भी भीषण होंगे। ट्रंप ने ईरान से अपील की कि वह परमाणु समझौता कर ले, इससे पहले कि कुछ भी न बचे और जिसे कभी ईरानी साम्राज्य के रूप में जाना जाता था, उसे बचा ले। अब और मौत नहीं, अब और विनाश नहीं, बस करो, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
 
वॉशिंगटन ने ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम पर जारी वार्ता के दौरान इसराइल को हमले के प्रति आगाह किया था। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि इन हमलों में उसका कोई हाथ नहीं है। साथ ही उसने अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना बनाकर किसी भी प्रकार की कार्रवाई किए जाने के खिलाफ चेतावनी दी है।
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इसराइली नेताओं ने इस हमले को राष्ट्र के अस्तित्व की लड़ाई बताया और कहा कि इस बात का खतरा था कि ईरान परमाणु बम बना सकता है और इस आसन्न खतरे को रोकने के लिए यह हमला आवश्यक था। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान इस लक्ष्य को प्राप्त करने के कितने करीब है या क्या ईरान वास्तव में निकट भविष्य में हमला करने की योजना बना रहा था। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल असैन्य उद्देश्यों के लिए है।
 
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान के इस खतरे को दूर करने के लिए जब तक आवश्यक हो, हमले जारी रखने का संकल्प जताया। उन्होंने कहा, यह इसराइल के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट और मौजूदा खतरा है। घबराए हुए इसराइली लोग बोतलबंद पानी और अन्य सामान खरीदने के लिए तेल अवीव, यरुशलम और अन्य स्थानों के सुपर मार्केट की ओर निकल पड़े तथा व्हाट्सऐप ग्रुप पर संदेश प्रसारित करते हुए एक-दूसरे को सलाह दी कि वे अपने आश्रय स्थलों को संभावित दीर्घकालिक उपयोग के लिए तैयार रखें।
 
इस बीच, ईरान में संग्रहालयों को बंद कर दिया गया और मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करना शुरू कर दिया गया। राज्य से संबद्ध बोर्ना समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी। ईरान का दावा है कि इसराइल ने आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाया। खामेनेई ने एक बयान में कहा, इसराइल ने हमारे प्यारे देश में अपराध के लिए अपना दुष्ट और खून से सना हाथ इस्तेमाल किया है तथा आवासीय केंद्रों पर हमला करके अपनी दुर्भावनापूर्ण प्रकृति को पहले से कहीं अधिक उजागर कर दिया है।
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अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने पुष्टि की है कि इसराइली हमले में ईरान के नतांज स्थित यूरेनियम संवर्धन केंद्र को निशाना बनाया गया और कहा कि वह विकिरण के स्तर पर करीबी नजर रख रही है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसराइली विमान ईरानी हवाई क्षेत्र में घुसे या उन्होंने ईरान पर केवल स्टैंडऑफ मिसाइल दागीं। हमले के समय इराक में लोगों ने लड़ाकू विमानों की आवाज़ सुनी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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