फिरोजपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री बलराम जाखड़ के बेटे और कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील जाखड़ अपने पिता के करिश्मे को दोहराने की उम्मीद कर रहे हैं। बलराम जाखड़ ने वर्ष 1980 में सतलुज नदी के किनारे पर स्थित अकालियों के इस गढ़ में जाट सिखों अथवा राय सिखों के प्रतिनिधित्व की परंपरा को तोड़ा था।
जाखड़ के खिलाफ कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें राय सिख समुदाय से आने वाले वर्तमान सांसद शेर सिंह घुबाया (51), सतनाम पॉल कंबोज (आप), रामकुमार प्रजापत (बसपा) और पूर्व सांसद ध्यान सिंह मांद शिअद (ए) शामिल हैं।
हालांकि इस सीट पर सीधा मुकाबला शिअद और कांग्रेस के बीच है लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि 30 अप्रैल को होने वाले चुनावों में कंबोज और प्रजापत मुख्य उम्मीदवार साबित हो सकते हैं।
विभाजन और दो भारत-पाकिस्तान युद्धों का दंश झेल चुके इस क्षेत्र के निवासी युद्ध के अनुभवी हैं। इस जिले के बड़े मुद्दों में हुस्सैनवाला-लाहौर सीमा को व्यापार और आवागमन के लिए खोलना शामिल है।
यह निर्वाचन क्षेत्र पाकिस्तान के साथ 200 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है और चुनावी नतीजों को तय करने में जाति ने हमेशा से एक अहम भूमिका निभाई है। (भाषा)