तो तुम सभी गिल्ली-डंडा, पतंग और गुड़-तिल के साथ तैयार हो। भाई, मकर संक्रांति जो आ पहुँची। मकर संक्रांति को ही उत्तरायण भी कहते हैं। इस दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध में जो प्रवेश करता है इसलिए १४ जुलाई से १४ जनवरी तक सूर्य दक्षिणायन रहता है और १४ जनवरी से १४ जुलाई तक उत्तरायण।
वैसे तो संक्रांति का मतलब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना होता है और चूँकि राशियाँ बारह हैं तो बारह संक्रांति होना चाहिए। होती भी हैं, पर सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश कर जाता है।
हम उत्तरी गोलार्ध में ही रहते हैं। जब सूर्य दक्षिणायन रहता है तो रात बड़ी होती है और अब मकर संक्रांति से रातें छोटी हो जाएँगी और दिन की लंबाई बढ़ जाएगी। इस तरह मकर संक्रांति ठंडी के खत्म होने और अब सूर्य की अच्छी रोशनी वाले दिनों की शुरुआत भी होती है। तो खुशी मनाओ क्योंकि सूरज दादा की गाड़ी अब उत्तर में जाती है।