वर्तमान में भी भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है। लेकिन अब हालात, वक्त, शौर्य बल, सेना की ताकत सब कुछ बदल गया है। भारत और चीन आज ऐसे पड़ोसी देश बन गए है, जहां युद्ध तो कम लेकिन बॉर्डर पर हलचल बनी रहती है। अब गोली बारी नहीं की जाती है लेकिन भारतीय सीमा में हस्तक्षेप करने पर भारतीय सेना द्वारा माकूल जवाब दिया जाता है। एक वक्त था जब कहा जाता था 'हिंदू-चीनी भाई-भाई'। लेकिन अब तो हालात ऐसे बन गए है कि महीनों तक दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी रहती है। लेकिन 1962 में युद्ध के दौरान हालात बहुत अलग थे। उस वक्त देश को आजाद हुए कुछ ही वक्त हुआ था, भारत पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार नहीं था। जिस वजह से भारत को शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस युद्ध से जुड़ी कई जानकारियां है जिससे लोग आज भी अनजान है। आइए जानते हैं -
- 1947 में भारत अंग्रेजों के चंगुल से पूरी तरह से आजाद ही हुआ था। देश अपना वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी कर रहा था। कई मुद्दों पर चर्चा की जा रही थी तो किसी पर चर्चा होना बाकी थी। भारत स्थापित होने की कोशिश कर रहा था। लेकिन 1959 से भारत पर चीन ने छोटे-छोटे आक्रमण शुरू कर दिए थे। सीमा पर युद्ध गहराने लगा था। और उसी दौरान दलाई लामा को भारत ने शरण दी थी। चीन को यह बात हजम नहीं हुई और युद्ध की गति तेज हो गई।