9 अगस्त : विश्व आदिवासी दिवस पर जानिए उनसे जुड़ीं 7 रोचक बातें

9 अगस्त को 'विश्व आदिवासी दिवस' के रूप में पहचाना जाता है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने आदिवासियों के भले के लिए एक कार्यदल गठित किया था जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। उसी के बाद से (UNO) ने अपने सदस्य देशों को प्रतिवर्ष 9 अगस्त को 'विश्व आदिवासी दिवस' मनाने की घोषणा  की।
 
1. जब 21वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने महसूस किया कि आदिवासी समाज उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है, तभी इस समस्याओं को सुलझाने, आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए इस कार्यदल का गठन किया गया था। (UNWGIP) 
 
2. आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ मूल निवासी होता है। 
 
3. भारत की जनसंख्या का 8.6% यानी कि लगभग (10 करोड़) जितना बड़ा एक हिस्सा आदिवासियों का है।
 
4. भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित जनजाति' पद का इस्तेमाल किया गया है।
 
5. भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में जाट, गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, सहरिया, संथाल, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध,टोकरे कोली, महादेव कोली,मल्हार कोली, टाकणकार आदि शामिल हैं।
 
5. आदिवासी समाज के लोग अपने धार्मिक स्‍थलों, खेतों, घरों आदि जगहों पर एक विशिष्‍ट प्रकार का झण्‍डा लगाते है, जो अन्‍य धमों के झण्‍डों से अलग होता है।
 
6. आदिवासी झण्‍डें में सूरज, चांद, तारे इत्‍यादी सभी प्रतीक विद्यमान होते हैं और ये झण्‍डे सभी रंग के हो सकते है। वो किसी रंग विशेष से बंधे हुये नहीं होते। 
 
7. आदिवासी प्रकृति पूजक होते है। वे प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत इन सभी की पूजा करते है। और उनका मानना होता है कि प्रकृति की हर एक वस्‍तु में जीवन होता है।

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