अथर्व पंवार
राजा भोज की विद्वता के बारे में जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। उनके बारे में अध्ययन करते समय इस बात से अचंभित होते हैं कि आज से लगभग 1100 वर्ष पहले की तकनीक आज से भी अधिक संपन्न थी। कई क्षेत्रों में आज भी हम उस प्राचीन तकनीकों से पिछड़े हुए हैं। इससे मन व्याकुल होता है कि अनेक आक्रमणों और संस्कृति के भक्षण के कारण हम कितने पिछड़ गए और साथ में गर्व भी होता है कि हमारा भारत उस समय कितना उन्नत था।
राजा भोज के बारे में पढ़ते समय हमें एक रोबोट का भी वर्णन मिलता है जिसे यंत्रपुत्रक कहा गया। श्रृंगारमंजरीकथा में जब राजा भोज आत्मप्रशंसा और आत्मवर्णन से स्वयं को घिरा हुआ समझते हैं तो वह पाते हैं कि स्वयं अपना वर्णन नहीं करना चाहिए। इस कारण वह एक यंत्रपुत्रक को नियुक्त कर देते हैं और वह यंत्रपुत्रक (यंत्रों द्वारा निर्मित रोबोट) राजा भोज का वर्णन करने लगता है।