World Day Against Child Labour : भारत के 2 राज्य हैं बाल मजदूरों का गढ़
बाल श्रम का प्रमुख कारण गरीबी, पैसों की तंगी, शिक्षा का अभाव
भारत में यूपी और बिहार में सबसे अधिक बाल मजदूर मजबूर
विश्व में सबसे अधिक बाल मजदूर अफ्रीका में 7.21 करोड़
2011 जनगणना के बाद नहीं है स्पष्ट आंकड़े
बचपन पूरे जीवन का सबसे अच्छा और सुगम पल होता है। यह ऐसा वक्त होता है जब बच्चों को किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं या फिक्र नहीं होती है। जिंदगी का भरपूर आनंद लेने का सबसे अच्छा वक्त होता है। हालांकि कुछ बच्चों के बचपन को बुरी नज़र लग जाती है। लाचारी और गरीबी से त्रस्त बच्चों को बचपन से ही बाल श्रम जैसी समस्या से जुझना पड़ता है। बाल श्रम बच्चों के लिए अभिशाप बन गया है। इस दल - दल से बच्चों को बाहर निकालने के लिए हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।
आइए जानते हैं कब हुई थी इसकी शुरूआत, बाल मजदूरी से जुड़े क्या नियम है, बाल मजदूरी का क्या है प्रमुख कारण -
कैसे हुई इसकी शुरुआत
विश्व बाल श्रम दिवस हर साल 12 जून को मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत साल 2002 में हुई थी। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा इस दिन की शुरुआत की गई। इसके बाद से हर साल यह दिवस मनाया जा रहा है। बढ़ते बाल श्रम को देखते हुए इस दिन को मनाने का फैसला किया। एक कानून के तहत फैसला लिया गया था कि छोटे बच्चों से काम कराना अपराध की श्रेणी में आएगा।
भारत में बाल श्रम की स्थिति
भारत में बाल श्रम की स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं है। ऐसे में साल 2011 जनगणना के मुताबिक भारत में 5 से 14 साल तक के 25.96 बच्चों में से 1.01 करोड़ बाल श्रमिक है। और करीब 43 लाख से अधिक बाल मजदूरी करते पाए गए थे। यूनिसेफ के अनुसार यह आंकड़ा दुनिया के बाल मजदूरों का 12 फीसदी भारत का ही है।
- सबसे अधिक बाल श्रमिक अफ्रीका में पाएं गए थे। जहां पर 7.21 करोड़ बच्चे बाल श्रम करते हैं।
- एशिया पैसिफिक में 6.21 करोड़।
- अमेरिका में 1 करोड़ से अधिक बच्चे मजदूरी करते हैं।
भारत के ये 2 राज्य बाल मजदूरों का गढ़
भारत में भी बाल मजदूर बड़ी तादाद में हैं। लेकिन इन 5 राज्यों में सबसे अधिक है। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, और मप्र। इन सभी में सबसे अधिक बाल मजदूर यूपी और बिहार में हैं यूपी में 21.5 फीसदी यानी 21.80 फीसदी है और बिहार में 10.7 फीसदी यानी 10.9 बाल मजदूर हैं। वहीं राजस्थान में 8.5 लाख बाल मजदूर है।
"बच्चों को कोविड-19 महामारी से बचाना है"
कोविड महामारी का असर कही न कही इन बाल मजदूरों पर पड़ा है। साल 2020 के दौरान बाल श्रम की थीम यह थी कि बच्चों को कोविड-19 महामारी से बचाना है।
बाल श्रम के मुख्य कारण
- गरीबी
- पैसों की तंगी
- शिक्षा का अभाव
- बेरोजगारी
- अनाथ
भारतीय संविधान में बाल मजदूरी से जुड़े प्रावधान
बाल मजदूरी पर रोक के लिए संविधान, मौलिक अधिकारों और राज्य के विभिन्न अनुच्छेदों के माध्यम से कहा जाता है कि -
- अनुच्छेद 15 (3) के तहत बच्चों के लिए अलग से कानून बनाने का अधिकार है। - अनुच्छेद 21 - 6 -14 साल के बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। - अनुच्छेद 23 - बच्चों के खरीदी-बिक्री पर रोक लगाती है। - अनुच्छेद 24 - 14 साल से कम आयु के बच्चों को जोखिम भरे काम करने पर प्रतिबंध है।