हर साल 19 अगस्त को विश्व छायांकन दिवस मनाया जाता है। इस दिन का बहुत महत्व बढ़ गया है। एक वक्त था जब कुछ ही लोगों के पास कैमरा हुआ करते थे। लेकिन अब हर इंसान के हाथ में कैमरा है। जब कैमरा बहुत कम लोगों के हाथ में होता था तब सिर्फ खास पल ही कैप्चर करने के लिए होते थे। लेकिन अब बहुत परिवर्तन आ गया है। लोग लम्हों का आनंद कम लेते हैं उससे अधिक फोटो कैप्चर करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि कैमरे की जगह मोबाइल ने ले ली है। हालांकि इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य है दुनियाभर के फोटोग्राफर्स को प्रोत्साहित करना है। आइए जानते हैं कैसे इस विश्व छायांकन दिवस को मनाने की शुरूआत कैसे हुई -
सन 1893 की बात है। फ्रांस में डागोरोटाइप प्रक्रिया की शुरूआत की गई थी। इसे दुनिया की पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया माना जाता है। इस प्रक्रिया का अविष्कार दो दोस्तों ने मिलकर किया था। इसका अविष्कार लुइस डोगर और जोसेफ नाइसफोर ने किया था। दोनों फ्रांस में ही रहते थे। लुइस और जोसेफ ने 19 अगस्त 1839 को डागोरोटाइप प्रक्रिया के अविष्कार की घोषणा की। और बाद में पेटेंट भी प्राप्त किया। और इसी दिन को याद करते हुए 19 अगस्त को विश्व छायांकन दिवस (World Photography Day) मनाया जाता है।
इस दिन ली गई पहली सेल्फी
सेल्फी का चलन पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ गया है। एक समय ऐसा भी था जब सभी एक-दूसरे की फोटो खिंचते थे लेकिन अब सेल्फी के चलन के बाद जरूरत महसूस नहीं होती है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि साल 1839 में पहली बार सेल्फी ली गई थी। अमेरिका के रॉबर्ट कॉर्नेलियस ऐसे शख्स थे जिन्होंने दुनिया की पहली सेल्फी खींची थी। वह तस्वीर आज भी मौजूद है। उसे यूनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस प्रिंट में उपलब्ध है।
2010 में वर्चुअल गैलरी
दुनिया में कुछ ऐसे फोटोग्राफर भी है जिन्होंने बेहद खूबसूरत तस्वीरों को कैद किया था। 19 अगस्त 2010 सभी फोटोग्राफर्स के लिए एक ऐतिहासिक और यादगार दिन था। इस दिन पहली बार वैश्विक ऑनलाइन गैलरी की मेजबानी की गई थी। करीब 250 से अधिक फोटोग्राफर्स ने अपनी तस्वीरों को ऑनलाइन पेश किया था। और 100 से अधिक लोगों ने वेबसाइट पर तस्वीरों को देखा था।