10. 400 पीढ़ियों के प्रारंभिक काल में ये जातियां थीं- देव, दैत्य, दानव, राक्षस, यक्ष, गंधर्व, भल्ल, वसु, अप्सराएं, पिशाच, सिद्ध, मरुदगण, किन्नर, चारण, भाट, किरात, रीछ, नाग, विद्याधर, दार्द, पक्थ (पख्तू), अहीर, मेघ, मानव, वानर, निषाद, मत्स, अश्मक, कलिंग, यवन, शिना, शूर, पुरु, यदु, तुर्वश, अनु, द्रुह्मु, अलिन, भलान, शिव, विषाणिन, कक्कड़, खोखर, चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र, ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, तक्षक व लोहड़, मद्र, कंबोज, भरत, आदि। कालक्रम के चलते इने नाम बदलते गए। इस तरह हम भारतीयों के नाक-नक्ष की बात करें तो वह चीन और अफ्रीका के लोगों से बिल्कुल भिन्न है। यदि रंग की बात करें तो भारतीयों का रंग यूरोप, अफ्रीका के लोगों से पूर्णत: भिन्न है।